युवा क्रांति की मशाल – हैप्पी पंडित

नोएडा व्यूज के सख्सियत कार्यक्रम में ,हमारे साथ हैं, तेजी से युवा क्रांतिकारी आंदोलन कारी के रूप में उभर रहे, शिवम शर्मा उर्फ हैप्पी पंडित जी, जिनकी उम्र मात्र 19 साल है, पर क्रांति का जज्बा, बड़े बड़ो को पीछे छोड़ने वाला, उनसे बात की नोएडा व्यूज के सीनियर एडिटर प्रोफेसर(डॉ) दीपक कुमार शर्मा जी ने, उसी बातचीत के मुख्य अंश, हमारे सुधि पाठको के लिए,,,,

हैप्पी पंडित जी, नोएडा व्यूज के कार्यक्रम में आपका बहुत बहुत स्वागत है।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

हैप्पी जी, हमारे पाठको को अपना परिचय दीजिये।

सर् जी, मेरा वास्तविक नाम शिवम शर्मा है,बचपन में मैं सदैव खुश रहता था और खेलता रहता था, तो मेरी माँ ने प्यार से मेरा नाम हैप्पी, रख दिया,और ब्राह्मण परिवार से हूँ तो पंडित पीछे जुड़ गया और मेरा नाम हैप्पी पंडित पड़ गया। मैं किसानों के मसीहा, स्वर्गीय राजेश पायलट जी की जन्मभूमि बैदपुरा गाँव का रहने वाला हूँ, गरीब ब्राह्मण परिवार से बिलोंग करता हूँ, पिताजी 10000 रुपये की एक छोटी सी नौकरी करते है, माँ, हाउस वाइफ है, एक बहन थी, उसकी शादी हो गयी,,,,ये ही हमारा छोटा सा परिवार है, और ज्यादा कुछ मेरा परिचय नही है।

हैप्पी जी, आप किसान आंदोलनों के प्रति आपका रुझान कैसे और कब हुआ ?
सर्, 2007 में तत्कालीन बसपा सरकार ने जमीनों का अधिग्रहण करके, किसानों की जमीनें ले ली,और किसानों से वायदा किया कि, आपको मुआवजे के साथ साथ, 10 प्रतिशत विकसित भूमि का प्लाट भी दिया जाएगा, ताकि उसमे किसान अपना पशु धन, ट्रेक्टर,,आदि रख सके, आबादी विकसित कर सके, जीवन यापन कर सके,पर आज लगभग 12 साल बीत जाने पर भी, किसानों को वो 10 प्रतिशत के विकसित प्लाट नही मिले,,, मुआवजा राशि ख़त्म हो गयी, जीवन यापन के साधन छिन गए, किसान दर दर की ठोकर खाने को बाध्य हो गया,,,उसने हर दरवाजा खटखटाया,,, पर हर जगह उसे मिला, सिर्फ आश्वासन,  कोरा और झूठा आश्वासन।,,मेरे भी गाँव मे पंचायत हुई, मैं भी इन बातों को देख और सुन रहा था, किसानों ने सड़क पर उतर कर आंदोलन का मार्ग चुना, मुझे लगा,हम गरीब लोगों को मरना तो है ही हर हालात में तो क्यों न अपने हक की आवाज उठाकर मरूँ। धन तो अपने पास था नही,,,पर पूरे तन और मन से मैं फिर आंदोलन में कूद पड़ा।
हैप्पी जी ,किस किस किसान आंदोलन में आपने सक्रिय भूमिका निभाई ?

सर् जी, 2015 का साल था, मैं ग्यारवहीँ क्लास में था, तब पहली बार, मैं सक्रिय रूप से किसानों के साथ धरने पर बैठा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के गेट पर 26 दिन आंदोलन चला, और पूरे 26 दिन ,रात और दिन मैं,,वहां उपस्थित रहा, तब से अब तक, 2 बार लाठी चार्ज में घायल हुआ, एक बार तो इतनी लाठियां पड़ीं की अभी तक देहि चसक ती है, 12 बार पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया, पर कोई डर नही, सही बात के लिए आवाज उठाना, मेरी जिंदगी का मकसद बन गया है, और आंदोलन तो मेरी जिंदगी के अभिन्न अंग बन गए हैं।

हैप्पी, आपकी इतनी छोटी उम्र है, आप आंदोलन का हिस्सा बनते हो, माता पिता रोकते टोकते नही ?

मेरे माता पिता भी दुनिया से अलग नही है, सर् जी, तो रोकते टोकते भी है, गुस्सा भी होते है, पर एक तो मैं कभी पढ़ाई में फेल नही हुआ, दूसरे अपने उम्र के अन्य बच्चों की तरह कोई औगाल(गलत काम) नही कभी किया, तो भी, मेरे भविष्य के प्र्रति वो चिंतित तो रहते है, पर फिर गर्व भी करते है, प्यार करते है, और मेरी गलतियों को भुला कर,मुझे गले से लगा लेते है।
हैप्पी, किसान आंदोलन के अलावा आपने अन्य क्या सामाजिक कार्य किये है ?

सर्, मैं मिहीर भोज पी जी कॉलेज में बी ए का छात्र हूँ, वहां दो अत्यंत गरीब बच्चो का मेरिट लिस्ट में नाम आने के बावजूद, उन्हें कॉलेज में प्रवेश नही दिया गया,बल्कि उनकी जगह दो प्रभाव शाली परिवार के बच्चो के एड्मिसन कर दिए गए, मुझे ये बात पता पड़ी, मैं कुछ लड़कों के साथ प्रधानचार्य महोदय से मिला, उन्होंने हमारी बात सुनी अनसुनी कर दी, वहां पर भी हमने फिर आंदोलन का रास्ता चुना, अंततः कॉलेज प्रशासन झुका, और उन दो बच्चो के एड्मिसन उन्हें करने पड़े।
ऐसे ही एक बार मेरे गाँव के पास मारिपत स्टेशन के पास झुग्गियों में कुछ गरीब लोग रहते है,वहां एक माँ ने बच्चे को जन्म दिया, पर जन्म के दूसरे ही दिन, गर्म कपड़े न होने के कारण बच्चे की मौत हो गयी, मैं उस बच्चे को तो वापस नही ला सकता था पर मैं sdm साहब से मिला औऱ उस महिला और उस जैसे अन्य निर्धन परिवारों को गर्म कपड़े और कम्बल देने का आग्रह किया, sdm साहेब मेरी बात अनसुनी करके अपनी गाड़ी में बैठकर जाने लगे तो मैं उनकी गाडी के आगे लेट गया और तभी हटा जबकि उस गरीब महिला को कम्बल न मिल गए।
अपने साथी युवाओँ को आप क्या संदेश देना चाहेंगे, हैप्पी जी।

संदेश देने की तो अभी मेरी उम्र नही है सर् जी,पर एक प्रार्थना जरूर करना चाहूंगा, की दिन के 23 घंटे अपने लिए दे लो पर ज्यादा भी नही तो एक घंटा, अपने देश और समाज के लिए भी दो। अम्बेडकर जी ने कहा है, संघर्ष करो, शिक्षित बनो, संगठित रहो,,,उनकी इस बात की मैंने गांठ बांध ली है,और अन्य युवाओ से भी अपील करता हूँ, की वे भी ऐसा ही करें। पेड़ लगाएं, नालियों को साफ करें,, तालाबो को साफ करें, गरीब बच्चो को पढ़ाये, भ्रस्टाचार के विरुद्ध rti लगाएं, पर देश के लिए प्रतिदिन एक घंटा जरूर दें।
नोएडा व्यूज ने ये मुहिम निकाली है कि, आप जैसे जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओ को पहचान दिलाई जाय, हमारी इस मुहिम के बारे में आपका क्या कहना है।

बहुत अच्छी मुहिम है, सर् जी, मैं तो कहता हूँ, गजब की सोच है, हमारे देश मे मैं एक चीज देखता हूँ कि जब आदमी प्रसिद्ध हो जाता है तो दुनिया उसके पीछे भागती है,पर जब वो संघर्ष कर रहा होता है तो बहुत कम लोग ही उसकी सराहना कर रहे होते हैं। ऐसे में आपकी ये मुहिम मुझ जैसे लोगो का न केवल हौसला बढ़ाएगी, बल्कि और अच्छा करने की प्रेरणा दे रही है। आपको बताऊ, किसी अखबार के लिए ये मेरा पहला इंटरवियू है,
दुसरो को इंटरव्यू देते देखता था तो मन मे लगता था कि क्या मैं भी ऐसा कुछ सार्थक कर पाऊंगा की, कभी मेरा भी इंटरव्यू छपेगा। आप बहुत अच्छा काम कर रहे है,आपकी पूरी टीम को दिल से बधाई।

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