वर्तमान में जल दोहन रोकना जरूरी,अन्यथा भविष्य में होगा विशाल जल संकट,- सुमित चपरगढ़

ग्रेटर नोएडा:– “जल ही जीवन है” यह वाक्य हममे से बहुतों ने बचपन से ही पढा या लिखा होगा। पर यथार्थ के धरातल पर बहुत कम लोग ही इस वाक्य की महत्ता को समझने का प्रयास करते हैं। आज जिस तरह पानी का वेतरतीब दोहन हो रहा है वह एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। जल प्रकृति की ऑक्सिजिन के बाद दूसरी ऐसी सौगात है जिसके बिना जीवन की परिकल्पना भी नही की जा सकती है,युवा सामाजिक संगठन मिशन युवा शक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं समाजसेवी सुमित चपरगढ़ ने बताया कि आज ऐसी भयावह स्थिति हो गयी है कि शहर तो क्या गांवों तक मे भूगर्भ जल स्तर दिनों दिन नीचे गिरता जा रहा है, कुएं, नल सूखते जा रहे हैं। पर चिंता कौन करे। कई बुद्धिजीवियों को भी यह लगता है अगर उनके घर के पंप से पानी आ रहा है तो यह उनका मूलभूत अधिकार है कि उस पानी का कितना और कैसे भी उपभोग या नष्ट कर सकते हैं। वो यह समझने की कोशिश नही करते हैं कि पृथ्वी के अंदर जल की मात्रा सीमित है और वो किसी व्यक्ति विशेष नही बल्कि समस्त मानव जाति के लिए है। गिरते जल स्तर का एक प्रमुख कारण आजकल बहुतायत घरों में पाया जाने वाला समरसेबिल पंप है। इस पंप के द्वारा बहुत अधिक मात्रा में पानी बेकार होता है। जहां हैंड पंप से दो बाल्टी पानी से काम होता था बो आज पंप के कारण बीसियों बाल्टी पर पहुँच गया है।परंतु इसकी चिंता किसी को नही है क्यूंकि ये उनका पंप है और वो इसका उपयोग करने के लिए पूर्ण स्वन्त्रत हैं, अगर हमने समय रहते अपने आपको नही बदला तो भविष्य में पानी की स्थिति और भी भयावह होने वाली है। लोगों को जागरूक होने और पानी की कीमत जानने का समय आ गया है।प्रशाशनिक स्तर पर सबमरसिबल पंप लगाने के लिए अनुमति को आवश्यक करने के साथ मीटर की व्यबस्था भी करनी चाहिए। निश्चित मात्रा से अधिक पानी का उपभोग करने पर भारी जुर्माना किया जाना चाहिए। बिना अनुमति के लगाए गए सबमरसिबल पंप पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्यवायी होनी चाहिए।
समाज का प्रत्येक वर्ग अगर पानी के सरंक्षण और समुचित उपभोग के प्रति अपनीं जिम्मेवारी का निर्वहन करेगा तो ही हम अपनी आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ और प्रचुर जल सम्पदा सौंप पाएंगे।

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