नोएडा। सेक्टर-39 स्थित राष्ट्रीय कैंसर इंस्टीट्यूट आफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (एनआइसीपीआर) के विज्ञानियों द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि तंबाकू के सभी प्रकार के उत्पादन मसलन सिगरेट, बीड़ी से लेकर चबाने वाले तंबाकू से प्रतिवर्ष 1.7 लाख टक कचरे का उत्पादन होता है। इसमें अकेले उत्तर प्रदेश की भागीदारी सर्वाधिक 22 प्रतिशत है।
संस्थान की निदेशक डा. शालिनी सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष 2022 में जनवरी से अप्रैल के बीच 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 33 जिलों में तंबाकू उत्पादन से निकलने वाले कचरे पर अध्ययन किया गया। जिसपर (द एनवायरनमेंटल बर्डन आफ टोबैको प्रोडक्ट्स वेस्टेज इन इंडिया) की रिपोर्ट तैयार की।
रिपोर्ट के मुताबिक सिगरेट के 70 ब्रांड, बीड़ी के 94 ब्रांड और धुंआ रहित तंबाकू के 58 ब्रांड खरीदे और उनमें इस्तेमाल किए गए। जिसमें प्लास्टिक, कागज, पन्नी और फिल्टर के अलग-अलग वजन को ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया 2016-17 के डाटा के साथ मिलाया। इसपर सामने आया कि तंबाकू उत्पादों द्वारा उत्पन्न कुल कचरों में 73,500 टन प्लास्टिक है, जो 77 मिलियन बाल्टियों के भार के बराबर है।
तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग के लिए प्रतिवर्ष 22 लाख पेड़ काटे जाते हैं। तंबाकू उत्पादों द्वारा उत्पन्न वार्षिक कागज अपशिष्ट 89,402 टन है। कागज का यह वजन 119 मिलियन नोटबुक के जितना है। वहीं पैकेजिंग से उत्पन्न 6,073 टन गैर-बायोडिग्रेडेबल एल्यूमीनियम पन्नी कचरे से तैंतीस बोइंग 747 विमान बनाए जा सकते हैं। जबकि इससे निकलने वाले फिल्टर के अपशिष्ट से नौ मिलियन स्टैंडर्ड आकार के टीशर्ट को बनाया जा सकता है।
