अब वह दिन दूर नहीं जब राष्ट्र तो होगा, लेकिन राष्ट्रीय पक्षी नहीं होगा|


26 जनवरी 1963 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया| इस रविवार 26 जनवरी को जब हम अपना 71 वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे मोर भी बतौर राष्ट्रीय पक्षी 58 वे वर्ष में प्रवेश कर चुका होगा| मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित करने का सफर इतना आसान नहीं रहा एक लंबी जद्दोजहद 13 वर्ष चली… तमिलनाडु राज्य के ऊटी में 26 जनवरी 1963 को अंतिम बैठक राष्ट्रीय पक्षी तय करने को लेकर आयोजित की गई|

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राष्ट्रीय पक्षी कैसा होना चाहिए इसकी कुछ शर्त तय की गई पहली शर्त यह थी एक तो वह पक्षी पूरे देश में पाए जाने वाला होना चाहिए आम से आम व्यक्ति भी उससे परिचित हो| दूसरा उसका भारतीय संस्कृति विरासत इतिहास से अटूट संबंध रहा हो| हंस चील बत्तख सारस जैसे पक्षी राष्ट्रीय पक्षी घोषित होने की दौड़ मुकाबले में थे लेकिन अंतिम बाजी सभी शर्तों को पूर्ण करते हुए मोर ने मार ली| लद्दाख क्षेत्र को छोड़कर मोर पूरे भारतवर्ष में पाया जाता है |यह अपने मैं अन्य भारतीय पक्षियों की शारीरिक विशेषताएं सुंदरता को समाहित किए हुए हैं| ऐतिहासिक सांस्कृतिक तौर पर महाभारत काल के बाद सबसे बड़े मौर्य साम्राज्य का यह उल्लेखनीय पक्षी था मौर्यकालीन सिक्कों पर मोर छपा हुआ होता था…. योगीराज श्री कृष्ण मोर के पंखों से बना हुआ मुकुट धारण करते थे उन्हें मोर मुकुटधारी भी कहा जाता था |इसी के साथ ही राजा मोरध्वज के किस्से भी भी सुनने को मिलते हैं|

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यह तो मोर का राष्ट्रीय पक्षी घोषित होने होने का संक्षिप्त वर्णन रहा लेकिन जीव विज्ञान की दृष्टि से मोर पक्षियों के फैसिनेडी कुल का सबसे बड़ा पक्षी है जो भूमि पर निवास करते हैं तथा भूमि पर अंडे देते हैं… पक्षियों के इस परिवार में जंगली मुर्गा ,तीतर ,बटेर आदि पक्षी शामिल है|

मोर केवल दक्षिण एशिया में ही पाया जाता है इसमें भी हमारा राष्ट्रीय पक्षी जो नीला मोर है भारत व श्रीलंका में ही पाया जाता है भारत के पड़ोसी देश म्यांमार का राष्ट्रीय पक्षी भी मोर है लेकिन वह सलेटी रंग का है वह इतना सुंदर नहीं है नीले मोर के अलावा हरा मोर भी पाया जाता है उसकी गर्दन चटक नीली ना होकर हरी होती है|

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चिड़ियाघर में जो सफेद मोर दिखाई देता है यह भारतीय मोर का ही अनुवांशिक रूप है जो जेनेटिक विकृति सिलेक्टिव ब्रीडिंग से प्राप्त किया जाता है| निहितार्थ यह है मोर मतलब भारतीय नीला मोर|
मोर पक्षी में Dioporhmesim पाया जाता है अर्थात नर व मादा रंग रूप आकृति में अलग-अलग होते हैं| कलगी व रंग-बिरंगे पंख नर मोर को सुंदरता प्रदान करते हैं मादा मोरनी की अपेक्षा| वयस्क नर मोर का वजन 6 किलोग्राम लंबाई 5-6 फुट होती है| अगस्त तक नर मोर के सभी पंख झड़ जाते हैं लेकिन गर्मियों से पहले पूरे पंख आ जाते हैं जो संख्या में 150 से 200 होते हैं| मोर सर्वाहारी पक्षी है यह घास फूस साग सब्जी दाना सांप मेंढक छिपकली गिलहरी चूहा सब कुछ खाता है| मोर वन्य, खेतों का पक्षी है लेकिन दाने पानी के लिए आबादी में भी आता है | मोर की उम्र 25 वर्ष होती है मादा मोरनी वर्ष में दो बार अंडे देती है 30 दिन के पश्चात अंडों से बच्चे निकल आते हैं| 2 से 3 साल में मोर वयस्क हो जाता है|

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विकास के नाम पर अब खेतों मैं ऊंची ऊंची अट्टालिका बन गई है वन क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है ऐसे में मोर का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है नतीजा यह है मोरो की संख्या भी कम हो रही है|_ समस्या यहीं नहीं रुकती मोर का शिकार सबसे चिंताजनक है पंखों के लिए राष्ट्रीय पक्षी को निर्ममता से मार दिया जाता है |बेचारा राष्ट्रीय पक्षी स्वेच्छा से अपने पंखों को दान कर देता है लेकिन लालची क्रूर इंसान इसे मार कर एक साथ समस्त पंख झटकना चाहता है | तांत्रिक क्रियाओं मांसाहार के लिए भी मोर को मारा जा रहा है | इसी भांति यह सब चलता रहा अब वह दिन दूर नहीं होगा जब राष्ट्र तो होगा लेकिन राष्ट्रीय पक्षी नहीं होगा फिर हमें मैराथन बैठके राष्ट्रीय पक्षी घोषित करने के लिए करनी होंगी जो पक्षियों के राजा मोर का स्थान ले सके|

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राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार राष्ट्रद्रोह का अपराध घोषित होना चाहिए| अखिल भारतीय स्तर पर जैसे बाघों सरक्षण के लिए सेव टाइगर परियोजना चलाई गई सेव मोर परियोजना चलाई जानी चाहिए| मोरों की राष्ट्रीय गणना होनी चाहिए|


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