मनरेगा की स्थिति

केंद्र सरकार की मजदूरों को काम उपलब्ध कराने की व्यवस्था नाकाफी साबित होने लगी है. प्रवासी मजदूरों के लिए अब गांवों में काम का अभाव पैदा होने लगा है. महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार मनरेगा के तहत ग्रामीण मजदूर 100 दिनों का काम पाने के हकदार हैं. इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने को ध्यान में रखकर ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ योजना की शुरूआत की है.

मार्च से लेकर 31 मई तक लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न गांवों में करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं. उनके लिए काम पाने का एकमात्र सहारा मनरेगा ही है. लेकिन विभन्न स्त्रोतों से मिल रही खबरों के मुताबिक लंबी लाइन लगाने के बावजूद प्रवासी मजदूरों को अब काम नहीं मिल पा रहा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में जहां अधिक संख्या में प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं वहां तीन माह के अंदर ही मनरेगा का फंड लगभग खाली हो गया है. जून के अंत तक इन राज्यों में मनरेगा का 90 प्रतिशत फंड खर्च हो गया है. जाहिर है कि शुरूआत में मजदूरों को अधिक से अधिक काम दिया गया. लेकिन तीन माह के अंदर ही उनकी मजदूरी पर संकट मंडराने लगा है.

खबरों के मुताबिक जून माह के अंत तक देश भर में 3.22 करोड़ मजदूरों को काम मिला है. पिछले वर्ष इसी अवधि में काम पाने वाले मजदूरों से यह करीब डेढ़ गुणी है. लेकिन आकंड़े यह भी बताते हैं कि इस माह के 10 जुलाई तक 1.7 करोड़ मजदूरों के काम पाने के लिए प्रयास करने के बावजूद उन्हें कोई काम नहीं मिला. जिन राज्यों में मजदूरों लिए काम का अभाव पैदा हुआ है उसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिम बंगाल आदि शामिल है. प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 100 मजदूरों के लाइन में खड़े होने पर उसमें से लगभग 75 लोगों को ही काम मिलता है. रोजगार के लिए शहरों में जाने का विकल्प खत्म हो जाने के कारण मनरेगा पर भी काम देने का दबाव बढ़ने लगा है. ऐसी स्थिति में 100 दिनों की जगह अब 150 दिनों का काम उपलब्ध कराना होगा.

सड़क, पानी, बिजली, ढांचागत सुविधाएं, वृक्षारोपण, सरकारी आवास निर्माण और ग्रमीण विकास से जुड़ी सरकारी योजनाओं में मजदूरों को काम कराने से उनको तत्काल तो राहत जरूरी मिली लेकिन रोजगार के लिए मजदूरों को शहरों में जाने का रास्ता बंद होने के बाद गांवों में रोजगार को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है. सभी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार को और अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने होंगे और मनरेगा के लिए और अधिक फंड आवंटित करने होंगे.


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