नॉएडा : तेज रफ्तार, उल्टा चलना, हेलमेट ना लगाना और सीट बेल्ट ना बांधना आज के समय में एक ट्रेंड बन चुका है। लोगों में इसे समझ की कमी समझें या लोगों को अपनी क्षमता दिखाने की चेष्टा समझ से परे। युवा अक्सर ये बोलते दिख जाऐंगें कि हम तो जांबाज है डर हमारे अंदर ना के बराबर है । हेलमेट लगाने से हमारे बाल खराब हो सकतें हैं। सीट बेल्ट लगाने से शर्ट की क्रीज । उल्टा चल कर हम जब जल्दी घर पहुंच सकतें हैं तो फिर २ किमी का लम्बा रास्ता क्यों । उन्हें चालान से भी कोई भय नहीं है। पुलिस चालान भी काटे तब भी वो ऐसा करने से बाज नहीं आते।अक्सर हमने अपने अभियान उल्टा ना चलो नो हेलमेट नो राइड के तहत जमीनी स्तर पर उतर कर इन सब से खुद को रूबरु होते पाया है । अब बात करतें हैं ऐसा क्यों? विदेशों में ये सब लोग नहीं करतें हैं ।वो ट्रेफिक नियमों का पालन बखूबी करतें हैं । ऐसा नहीं है कि वहां चालान का डर नहीं है ।ऐसा भी नहीं है वहां लोगों के अंदर चालान भरने की हैसियत नहीं है। फिर एक ही बात जेहन में आती है वो लोग शायद जागरूक हैं । हम लोगों में उसकी भयंकर कमी है । पढे लिखे लोग ये ज्यादातर करतें हैं । आखिर जब हम अपने बच्चों को रोड पार कराते वक्त बहुत ही ध्यान रखतें हैं तो फिर हम खुद क्यों नहीं। जैसे हमें अपने बच्चों की चिंता है वैसे ही वो भी हमारे लिए चिंतित होते होंगें ये भी सत्य है । हमें आगे आना होगा ।और संस्था को भी आगे आना होगा । पुलिस वालों को भी आगे आकर लोगों को जागरूक करना होगा । जब तक लोग जागरूक नहीं होंगें तब तक कुछ संभव नहीं होगा। चालान का डर दिखाकर कबतक हम उन्हें डराऐंगें । डर से कुछ हासिल नहीं होता । ज्ञान फैलाईये जागरूक करिये आगे आईये। खुद को हमारी युवा पीढ़ी को अगर भविष्य के लिए सुरक्षित करना है तो समाज के लिए देश के लिए हमें आगे बढकर कुछ ना कुछ करना होगा। टोकिये समझाईये डाटिंये मत । डांट खाकर या चालान का डर दिखाकर कुछ समय तक ही लोग आपकी बातें मानेंगें पर जागरूक करके हम हमेशा के लिए उन्हें ऐसा करने को लेकर प्रेरित कर सकतें हैं।
सामाजिक चेतना का बिगुल फूंकने आया हूं लोगों को जागरूकता की नयी परिभाषा बताने आया हूं
राकेश झा । अंतरिक्ष गोल्फ व्यू २ सेक्टर ७८
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