ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी द्वारा ग्रेटर नोएडा शहर के विकास के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाई गई। बड़े-बड़े प्लान तैयार किए गए। खूब बैठ हुई। बड़ी-बड़ी बातें की गई। शहर के लोगों को भी लगने लगा अब ग्रेटर नोएडा शहर के भी अच्छे दिन आने वाले हैं। किसानों की समस्याएं भी हल हो जाएगी। सेक्टरों में भी खूब तरक्की होगी। ग्रेटर नोएडा शहर विकास की तरफ अग्रसर होगा। लेकिन दुख इस बात का है जहां पिछले साल खड़े थे आज भी स्थिति कमोबेश वही है। हो सकता है कागजों में कुछ बदलाव हुए हो लेकिन धरातल पर हर तरफ सूखा ही सूखा नजर आता है।
अधिकारियों द्वारा दावा किया गया था कि किसान आबादी भूखंड की समस्याएं कुछ ही महीनों में हल कर दी जाएगी
किसानों की आबादी भूखंड की समस्याएं के लिए खूब बैठ हुई। खूब अधिकारियों को डांटा गया। खूब बड़े-बड़े वादे किए गए। खबरें लगी लेकिन महीनों बीत जाने के बाद आज तक भी कोई पात्रता लिस्ट जारी नहीं हो सकी है। एक साल पहले जो किसान आबादी भूखंड के लिए प्राधिकरण के चक्कर काट रहा था। आज भी वो बाबुओं की एक टेबल से दूसरी टेबल पर ही अपना दिन बिता रहा है और दोपहर में उसे हाथ पकड़ कर बाहर कर दिया जाता है।
इंडस्ट्रियल सेक्टर डिवेलप करने थे
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी ग्रेटर नोएडा में इन्वेस्टमेंट लेने के लिए विदेश गए थे जहां पर विदेशों में बड़े-बड़े उद्योगपतियों से मिले थे। जिसमें अधिकारियों ने विदेश यात्रा से लौटने पर उद्योग निवेश के बड़े-बड़े दावे किए थे। नए उद्योग सेक्टर बसाने के लिए प्लान बनाया था लेकिन जिन जगहों पर उद्योग सेक्टर बसाए जाने थे वहां पर अवैध कॉलोनियां बस चुकी है और प्राधिकरण के अधिकारी हाथ पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं अवैध कॉलोनियों का मकड़जाल बनने का इंतजार कर रहे हैं। अधिकारियों के सपने हकीकत नहीं बन सके। जो स्थिति एक साल पहले थी आज भी जस की तस है।
भूमि अधिग्रहण करने में फेल हुआ प्राधिकरण
प्राधिकरण के द्वारा कई बार दावा किया गया कि इन गांवों का अधिग्रहण करना है। योजनाएं बनाई गई यहां तक कि समाचार पत्रों में प्रकाशन भी किया गया। लेकिन सारी प्लानिंग फाइलों में ही सिमट कर रह गई। जबकि किसान मुआवजा के लिए प्राधिकरण के चक्कर काटते रहे। लेकिन उनमें से मात्र कुछ लोगों को छोड़कर किसी को कुछ नहीं मिला। थक हार के अपनी जमीन प्राइवेट में बेच रहे हैं अधिकारियों की उदासीनता के कारण कोई भी प्लानिंग पूरी होती नजर नहीं आ रही है।
भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए गए थे दावे
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कई बार चर्चाएं हुई। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का प्लान बनाया गया। विजिलेंस टीम बनाई गई। शिकायत नंबर जारी किया गया। लेकिन सारे इंतजाम धरे रह गए। भ्रष्टाचार आज भी अपने चरम पर है बिना कुछ लिए दिए कोई भी फाइल आगे नहीं बढ़ती है। चाहे अधिकारी अपने नीचे वाले से कितने भी बार बोले लेकिन मजाल जो कोई भी फाइल बिना पैसे के खेलिए जा सके। दलालों का झुंड आज भी प्राधिकरण में खुलेआम घूम रहा है। उनको रोकने के लिए प्राधिकरण में पास सिस्टम लागू किया गया था। लेकिन दलालों को रोकने में पास सिस्टम भी नाकाम साबित हुआ।