डेंगू का कहर: देशभर में बढ़ रहे मामले, विशेषज्ञों ने दी सावधानी बरतने की सलाह

नोएडा।दिव्यांशु ठाकुर

देश के कई राज्य इस समय मच्छर जनित रोग डेंगू की चपेट में हैं। डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो संक्रमित एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से फैलता है। इसके मुख्य लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल सहित देश के पूर्वी राज्यों में भी इस रोग के मामले बढ़ रहे हैं। इस साल अब तक कर्नाटक में डेंगू के 10,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें आठ की मौत हो गई है। दिल्ली, राजस्थान और गुजरात में भी डेंगू संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस वर्ष दिल्ली में डेंगू के मामले पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक हैं। एक जनवरी से 30 जून के बीच शहर में कुल 246 मामले दर्ज किए गए हैं, जो 2019 के बाद से इस समयावधि में सबसे अधिक है। अमर उजाला से बातचीत में डॉक्टरों ने कहा कि फिलहाल अस्पतालों में डेंगू के ज्यादा मरीज नहीं हैं, लेकिन रोगियों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

डेंगू के लक्षणों की समय पर पहचान और इलाज जरूरी है ताकि इसके गंभीर जोखिमों को कम किया जा सके।

डेंगू और इसका खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि डेंगू के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। डेंगू के कारण आंतरिक रक्तस्राव का भी खतरा रहता है, जिसे जानलेवा माना जाता है। डेंगू के अधिकतर रोगियों में ब्लड प्लेटलेट्स काउंट कम हो जाता है, इस स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। प्लेटलेट्स काउंट 40 हजार से कम होने को गंभीर स्थिति माना जाता है, जिसमें आपातकालीन चिकित्सा और अस्पताल में भर्ती की जरूरत हो सकती है।

ब्लड प्लेटलेट्स क्या होता है?

मायोक्लिनिक की रिपोर्ट के अनुसार, प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट्स, खून में मौजूद छोटी कोशिकाओं के टुकड़े होते हैं जो रक्त का थक्का बनाने में मदद करते हैं। अगर ये न हों तो खून जमने में दिक्कत होगी और अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा हो सकता है। प्लेटलेट्स बोन मैरो में बनते हैं।

किसी चोट लगने पर, यही प्लेटलेट्स घाव के स्थान पर इकट्ठा होकर प्लग की तरह काम करते हैं और थक्का बनाने की प्रक्रिया में रक्त वाहिकाओं को सील कर देते हैं, जिससे रक्त का बाहर निकलना रुक जाता है। डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाती है।

प्लेटलेट्स काउंट कितनी होनी चाहिए?

स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट काउंट 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर ब्लड तक होती है। डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट काउंट कम होने की समस्या अधिक होती है। प्लेटलेट्स की मात्रा 150,000 से कम होना चिंताजनक माना जाता है। 50,000 तक की मात्रा को गंभीर समस्याओं का संकेत माना जाता है, जिसमें आंतरिक रक्तस्राव का खतरा हो सकता है। इसी कारण डेंगू के गंभीर रोगियों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।

कैसे बढ़ाई जा सकती है इनकी मात्रा?

डॉक्टर बताते हैं कि जीवनशैली में ऐसा कोई खास बदलाव नहीं है जो आपके रक्त प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद करता हो। डेंगू में प्लेटलेट काउंट कम होने पर इलाज की जरूरत होती है ताकि रक्तस्राव की समस्या और अन्य लक्षणों को नियंत्रित किया जा सके। डॉक्टर दवाओं के माध्यम से इसमें सुधार करते हैं।

इसके अलावा, ओमेगा-3, विटामिन, आयरन और अन्य खनिजों से भरपूर चीजों का सेवन बढ़ाने से लाभ मिल सकता है। ये रोगजनकों से लड़ने में मदद करते हैं और डेंगू में प्लेटलेट काउंट भी बढ़ा सकते हैं। डेंगू रोगियों को अधिक मात्रा में तरल पदार्थ, फलों के जूस और नारियल पानी का सेवन करना चाहिए।


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