धिनिध देसिंघु: 14 वर्षीय भारतीय तैराक की पेरिस ओलंपिक यात्रा, प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी

नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर

पेरिस ओलंपिक में विभिन्न देशों के एथलीट्स और खिलाड़ी अपने अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भारत ने इस ओलंपिक में 117 खिलाड़ियों का दल भेजा, जिसमें मनु भाकर ने अद्वितीय प्रदर्शन करते हुए एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं।

युवा धिनिध देसिंघु का सफर

भारत की सबसे युवा खिलाड़ी, धिनिध देसिंघु का पेरिस ओलंपिक में सफर समाप्त हो गया। तैराकी में भारतीय दल ने कोई विशेष प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन धिनिध ने ओलंपिक तक पहुंचकर कई सुर्खियां बटोरीं। चलिए, जानते हैं इस 14 वर्षीय होनहार खिलाड़ी के बारे में।

धिनिध देसिंघु की प्रेरणादायक कहानी

बेंगलुरु की निवासी और नौवीं कक्षा की छात्रा धिनिध देसिंघु कभी पानी से डरती थीं। उनके माता-पिता ने उन्हें तैराकी सिखाने का निर्णय लिया, क्योंकि उनके घर के पास एक स्विमिंग पूल था। शुरुआत में धिनिध को पानी से बहुत डर लगता था, लेकिन उनके माता-पिता ने उनके डर को दूर करने के लिए काफी मेहनत की।

धिनिध का अनुशासन और समर्पण

जहां धिनिध की उम्र के बच्चे मजे और बेफिक्री में समय बिताते हैं, वहीं धिनिध ने अनुशासन, त्याग और कठिन अभ्यास के साथ ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर प्रतिस्पर्धा की। पिछले साल उन्होंने राष्ट्रीय खेलों और सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में पदक जीते और शीर्ष रैंकिंग हासिल की। इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते भारतीय तैराकी महासंघ ने उन्हें यूनिवर्सिटी कोटा के माध्यम से ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कराया।

धिनिध देसिंघु की उपलब्धि

हालांकि पेरिस ओलंपिक में धिनिध कोई पदक नहीं जीत सकीं, लेकिन उनकी ओलंपिक तक की यात्रा और उनकी मेहनत ने उन्हें भारत में एक प्रेरणास्रोत बना दिया है। उनकी कहानी कई अन्य युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा देगी और उनके संघर्ष को सलाम किया जाएगा।

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