ग्रेटर नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर
गौतमबुद्धनगर से होकर बहने वाली हिंडन और यमुना नदियां इस कदर प्रदूषित हो चुकी हैं कि इनके पानी का उपयोग ट्रीटमेंट के बाद भी नहाने या अन्य कामों के लिए नहीं किया जा सकता। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, हिंडन नदी के डाउनस्ट्रीम में टोटल कोलीफार्म की मात्रा 28 लाख एमपीएन प्रति 100 मिली रिकॉर्ड की गई है, जबकि सुरक्षित सीमा केवल 5,000 एमपीएन प्रति 100 मिली है। बायो ऑक्सीजन डिमांड भी 18 मिग्रा प्रति लीटर पाई गई है, जो कि 3 मिग्रा प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसका मतलब है कि पानी में जलीय जीवन के लिए जरूरी ऑक्सीजन भी उपलब्ध नहीं है।
यमुना का हाल भी कुछ बेहतर नहीं है। दिल्ली और नोएडा के बीच यमुना में 22 बड़े नाले गिरते हैं, जिनमें से 13 नाले सीधे 2,976 एमएलडी सीवर गिराते हैं। इस वजह से कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी में प्रदूषण अपने चरम पर है, जो नदी में झाग के रूप में दिखाई देता है। नोएडा के डाउनस्ट्रीम में हिंडन नदी के मिलने से प्रदूषण और बढ़ जाता है।
पर्यावरण कार्यकर्ता अभिष्ट कुसुम गुप्ता का मानना है कि नोएडा के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दो नदियां होते हुए भी शहर अपनी जलापूर्ति के लिए इनका पानी उपयोग नहीं कर सकता। नोएडा के मास्टर प्लान 2021 और 2031 के तहत नदियों के किनारे पर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य हुआ है, जिससे नदियों का डूब क्षेत्र कब्जे में आ गया है। भविष्य में अगर नदियां अपने पुराने रास्ते पर लौटती हैं तो यह क्षेत्र बाढ़ और भूकंप के समय गंभीर खतरे का सामना कर सकता है।