आश्विन माह की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है, जो नवमी तिथि तक चलती है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 2024 में आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्तूबर को सुबह 12:19 बजे शुरू होगी और 4 अक्तूबर सुबह 2:58 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि 3 अक्तूबर 2024, गुरुवार से आरंभ हो रही है, और 11 अक्तूबर 2024, शनिवार को समाप्त होगी। 12 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन और दशहरा मनाया जाएगा।
नवरात्रि के दौरान, घरों और पंडालों में मां दुर्गा की मूर्तियों की स्थापना की जाती है, और देवी को उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। इस पवित्र अवधि में कलश स्थापना का भी विशेष महत्व है, जिसमें माना जाता है कि कलश में ब्रह्मा, विष्णु, शिव सहित सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए कलश पूजन आवश्यक होता है। साथ ही, दुर्गा सप्तशती का पाठ भी इस समय किया जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं।
दुर्गा सप्तशती पाठ:
इस पाठ में 13 अध्याय होते हैं, जिनमें 700 श्लोक सम्मिलित हैं। इन अध्यायों में मां दुर्गा के तीन चरित्रों का वर्णन किया गया है। यदि कोई संपूर्ण पाठ करने में असमर्थ हो, तो ये 7 श्लोक पढ़े जा सकते हैं:
- ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।। - दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।। - सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते।। - शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते।। - सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते।। - रोगानशेषानपंहसि तुष्टारुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति।। - सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्॥