नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर
कोयंबटूर में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने अपनी बेटियों को अदालत में पेश करने की मांग करते हुए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कामराज का आरोप है कि उनकी बेटियों को ईशा फाउंडेशन द्वारा जबरन आश्रम में रखा गया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव से तीखे सवाल किए हैं, विशेषकर इस बात पर कि जब उनकी बेटी शादीशुदा है, तो वे अन्य महिलाओं को संन्यास लेने के लिए क्यों प्रेरित कर रहे हैं।
ईशा फाउंडेशन ने अपनी सफाई में कहा है कि वे किसी से भी शादी करने या संन्यास लेने के लिए नहीं कहते। उनका मानना है कि यह एक व्यक्तिगत विकल्प है। फाउंडेशन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी बेटी अपनी मर्जी से ईशा योग केंद्र में रह रही हैं। सोमवार को दोनों बेटियों ने अदालत में पेश होकर कहा कि वे अपनी इच्छा से फाउंडेशन में रह रही हैं। इसके बावजूद, हाईकोर्ट ने मामले की पूरी जांच का आदेश दिया है। इसके तहत 150 पुलिसकर्मियों की टीम ने फाउंडेशन में जांच शुरू की है।
कामराज और उनकी पत्नी का आरोप है कि बेटियों के परित्याग के बाद उनकी जिंदगी नरक बन गई है। इस विवाद ने ईशा फाउंडेशन के कार्यों और उसके सदस्यों की स्वतंत्रता पर सवाल उठाया है, जबकि फाउंडेशन ने अपने सदस्यों के विचारों और इच्छाओं का सम्मान करने की बात कही है। मामले की सुनवाई जारी है और पुलिस अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करेगी।