Jamia Millia Islamia विश्वविद्यालय में सोमवार को छात्रों ने दो पीएचडी शोधार्थियों के खिलाफ लिए गए अनुशासनात्मक कार्रवाई के विरोध में अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू कर दिया। इन छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने पिछले साल एक प्रदर्शन का आयोजन किया था। यह अनुशासनात्मक कार्रवाई 15 दिसंबर 2024 को आयोजित “जामिया रेजिस्टेंस डे” से जुड़ी है, जो 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों की याद में मनाया जाता है। उस दौरान दिल्ली पुलिस पर आरोप लगे थे कि उन्होंने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में घुसकर छात्रों पर लाठीचार्ज किया था, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया था।
Jamia Millia Islamia में हुए विवाद पर 25 फरवरी को होगी समीक्षा
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गठित अनुशासनात्मक समिति 25 फरवरी को इस मामले की समीक्षा करने वाली है, लेकिन प्रशासन ने अब तक छात्रों की मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। प्रदर्शनकारी इसे “कैम्पस लोकतंत्र पर हमला” बता रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई वामपंथी छात्र संगठनों, विशेष रूप से ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) द्वारा की जा रही है। प्रदर्शनकारियों ने “असहमति जामिया की विरासत है” और “कैम्पस लोकतंत्र बहाल करो” जैसे नारों के साथ प्रशासन पर छात्रों के मूलभूत अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया।
पुलिस ने कही ये बात
मंगलवार को स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब AISA ने दावा किया कि उसकी ऑल इंडिया अध्यक्ष, नेहा, को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हालांकि, दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से की गई थी। पुलिस के अनुसार, ” Jamia Millia Islamia प्रशासन ने उन्हें बाहर किया और हमें उनके खिलाफ शिकायत देने की योजना बना रहा है। उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ही पुलिस स्टेशन लाया गया।”
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