Sleep Divorce: बेहतर नींद के लिए अलग बिस्तर! भारत में बढ़ता ‘स्लीप डिवोर्स’ का ट्रेंड

Sleep Divorce

Sleep Divorce: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में स्वस्थ नींद लेना चुनौती बन गया है। इसी समस्या के समाधान के रूप में दुनियाभर में “स्लीप डिवोर्स” का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पति-पत्नी कानूनी रूप से अलग नहीं होते, लेकिन वे अच्छी नींद पाने के लिए अलग-अलग बेडरूम में सोते हैं। खर्राटे, अलग सोने की आदतें, और व्यक्तिगत आराम की जरूरतें इस बदलाव के मुख्य कारण हैं। स्लीप डिवोर्स  का ट्रेंड पश्चिमी देशों में तो प्रचलित था, लेकिन अब भारत में भी शहरी जीवनशैली और बदलते सामाजिक मूल्यों के कारण इसे अपनाया जाने लगा है।

Sleep Divorce के पीछे कारण और इसके प्रभाव

स्लीप डिवोर्स के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। सबसे प्रमुख कारण नींद की गुणवत्ता में सुधार है। कई लोग पार्टनर के खर्राटों, करवट बदलने, या अलग सोने की आदतों के कारण ठीक से सो नहीं पाते। इसके अलावा, स्वास्थ्य समस्याएं जैसे नींद में चलना या अत्यधिक हिलना-डुलना भी अलग सोने का कारण बन सकता है। साथ ही, वर्क शेड्यूल का अंतर भी एक बड़ी वजह है, खासकर जब पति-पत्नी की नौकरी की टाइमिंग अलग-अलग हो। हालांकि, Sleep Divorce का ट्रेंड कुछ मामलों में रिश्तों में दूरी बढ़ा सकता है, लेकिन कई कपल इसे अपनाकर अपने संबंधों में सकारात्मक बदलाव भी महसूस कर रहे हैं।

क्या भारत में लोकप्रिय हो रहा है स्लीप डिवोर्स?

संयुक्त परिवार और परंपरागत विवाह व्यवस्था के कारण भारत में यह चलन अभी उतना प्रचलित नहीं है, लेकिन तेजी से बदलती जीवनशैली और व्यक्तिगत आराम की बढ़ती प्राथमिकता के चलते यह धीरे-धीरे स्वीकार किया जा रहा है। अध्ययनों के अनुसार, नींद की समस्याओं से जूझ रही बड़ी आबादी अब इसे अपनाने की सोच रही है। अमेरिका और यूरोप में Sleep Divorce ट्रेंड पहले ही काफी लोकप्रिय हो चुका है और अब भारत में भी लोग बिना किसी रिश्ते को तोड़े अपनी नींद को प्राथमिकता दे रहे हैं।


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