ECI: मतदाता सूची में हेरफेर और डुप्लिकेट वोटर आईडी को लेकर बढ़ते विवाद के बीच सरकार ने वोटर पहचान पत्र को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस संबंध में मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव, विधायी सचिव और यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ अहम बैठक करेंगे। हाल ही में संसद में डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबरों को लेकर हो रहे विवाद के चलते यह कदम उठाया गया है। चुनाव आयोग ने दावा किया है कि दशकों पुरानी इस समस्या को अगले तीन महीनों में हल कर लिया जाएगा।
ECI: डुप्लिकेट वोटर कार्ड को लेकर सियासत तेज
राजनीतिक दलों ने डुप्लीकेट वोटर कार्ड को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। वहीं, पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। टीएमसी नेताओं ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि यह गड़बड़ी एक “कवर-अप” है और इस मामले की भौतिक सत्यापन की मांग की है। चुनाव आयोग ने भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि यह मुद्दा नया नहीं है और 2008-2013 के बीच भी कई वोटर्स को समान ईपीआईसी नंबर जारी किए गए थे।
आधार-वोटर कार्ड लिंकिंग पर सरकार का रुख
चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत मतदाता सूची को आधार डाटाबेस से जोड़ने की प्रक्रिया स्वैच्छिक रूप से संचालित हो रही है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस लिंकिंग के लिए कोई अनिवार्य समयसीमा तय नहीं की गई है और जो मतदाता अपने आधार को वोटर कार्ड से लिंक नहीं कराएंगे, उनके नाम मतदाता सूची से नहीं हटाए जाएंगे। ECI: हालांकि, इस पहल का मुख्य उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना और डुप्लिकेट वोटर कार्ड की समस्या को समाप्त करना है।