आरटीआई का जवाब क्यों नहीं देते हैं प्राधिकरण, जनसूचना के कानून का बना दिया मजा

 आरटीआई का जवाब क्यों नहीं देते हैं प्राधिकरण, जनसूचना के कानून का बना दिया मजा

ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी

प्राधिकरण के अधिकारी प्राधिकरण में आने वाले लोगों को इंफॉर्मेशन तो देते ही नहीं है। अब उन्होंने सूचना के अधिकार का मजाक बनाना भी शुरू कर दिया है। प्राधिकरण के अधिकारी पहले तो आपको किसी भी सूचना का कोई जवाब नहीं देंगे अगर आप ज्यादा जबरदस्ती करोगे तो आपको अनाप-शनाप जवाब या फिर किसी धारा का हवाला देकर टरकाने की कोशिश की जाएगी। लेकिन प्राधिकरण से आरटीआई के माध्यम से जवाब निकलवाने का मतलब प्राधिकरण के आप को कम से कम 20 चक्कर काटने होंगे और बाबू से लेकर के सीईओ तक रिक्वेस्ट करनी होगी। हो सकता है तब कहीं जाकर आपको कोई जवाब मिल जाएगा। लकिन सिर्फ उम्मीद ही है कन्फर्म नहीं ।

सभी प्राधिकरण यही हाल है चाहे बात करें उत्तर प्रदेश उद्योग विकास प्राधिकरण की, यमुना विकास प्राधिकरण की या ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की, आम आदमी को तो दूर की बात पत्रकारों को भी जनसूचना के माध्यम से जवाब नहीं दिए जा रहे। उत्तर प्रदेश उद्योग विकास प्राधिकरण में दो दोबारा आरटीआई लगाने के बाद भी और साथ ही साथ एरिया मैनेजर और सीईओ को कई बार बोलने के बाद भी आज तक कोई जवाब नहीं मिला है।

ऐसा ही हाल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का है इंडस्ट्री डिपार्टमेंट में लगाई गई एक आरटीआई का जवाब नहीं मिला। इंडस्ट्री डिपार्टमेंट की मैनेजर साहिबा कभी सीट पर मिलती ही नहीं है इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के ओएसडी से बोलने के बाद भी स्थिति जस की तस है।

क्या प्राधिकरण के अधिकारियों को इस बात की ट्रेनिंग दी जा रही है कि उन्हें कोई भी जवाब आरटीआई के माध्यम से नहीं देना है। सिर्फ आरटीआई लगाने वालों को गुमराह करके समय की बर्बादी करनी है जिससे कि वह खुद ही जवाब मिलने की उम्मीद छोड़ दे।

Kapil Choudhary

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