मेरी श्रधांजलि

“माँ” एक ऐसी हस्ती जो हर मनुष्य की प्रेरणा सत्रों होती है। माँ रहे या ना रहे पर कभी भी अपने बच्चों के लिया रुकावट नहीं बल्कि केवल प्रोत्साहन और तरक़्क़ी ही सोचती है। और इसी तरह जन्म हुआ “लेखक” का।
कैप्टन अनूप तनेजा जो पेशे से एक जहाज़ी है ,हमेशा पड़ाई लिखाई मैं उत्तीर्ण रहे। खेल कूद मैं भी ठीक थे पर स्पोर्ट्स्मन स्पिरिट से भरपूर। कम उमर मैं ज़िंदगी को बहुत क़रीब से से देख लिया है इन्होंने। अपने पेशे के कारण बहुत सी विदेश यात्रा कर चुके है और बहुत से देशों मैं रह भी चुके है।
लगभग दो वर्ष पूर्व जब कैप्टन अनूप तनेजा ने अपनी माँ को dementia, या सरल भाषा मैं कहें तो मानसिक रोग के कारण खो दिया तो वह उनके संस्कार पर पहुँच भी ना पाए। 20 साल हो गए थे माँ को इस बीमारी से लड़ते हुए। संतोष तनेजा अपने नाम की सही रूप से जी थी, हमेशा सन्तुष्ट रहना, सबको ख़ुशी देना, प्यार और बलिदान की मूरत जिसके लिए सब कुछ था उसका परिवार।
शायद यही कारण है की इनकी सोच रूडवादी नहीं। अपनी माँ को श्रधांजलि देने का जो तरीक़ा इन्होंने अपनाया वह क़ाबिले तारीफ़ है। इनकी माता जी को पड़ने का बहुत शौक़ था और इसलिए अनूप ने बड़ी शिद्दत से किताब लिखने का प्रयास शुरू किया।
यह कहानी जो काल्पनिक है पर कही ना कही हम सब के जीवन से जुड़ी है। एक ऐसे इंसान की कहानी जो दो अनजाने में बहुरूपिया ज़िंदगी जी रहा है, एक वो जो वह है और एक वो जो होना चाहता है, कुछ बुरा, कुछ बहुत बुरा।
NEIL A RANDOM MAN
यह किताब समर्पित है इनकी जिंदगी को- जिसपर एक बेटे को नाज है। यह किताब मात्र २०० रुपए में उपलब्ध है परंतु सबसे खूबसूरत बात यह है की इस किताब से आने वाला हर रुपया दान किया जाएगा मानसिक चिकित्सालय को, जगह इलाज हो सके उन सब लोगों का जो इस जानलेवा बीमारी के शिकार है। आपकी इस बेहद खूबसूरत सोच के लिए हम नमन करते है और बहुत सी शुभकामनाएँ देते है। जिस घर में हो पूत आपके जैसे वहाँ माँ केवल गर्व ही कर सकती है।
ऐ माँ तुझे सलाम