बच्चों ने मिलकर मनाया सड़क एवं कामकाजी बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस।

ग्रेटर नोएडा | शालू शर्मा :
सड़क एवं कामकाजी बच्चे भारत के ऐसे गुमनाम बच्चे है जिनकी आवाज कोई नहीं सुनता। इन बच्चो के लिए हर कोई ठोस कदम नहीं उठता है । इसलिए इन बच्चों को सही दिशा दिखाने एवं उनके जीवन में उजाला लाने के लिए एक प्रयास सामाजिक संगठन ‘चेतना संस्था’ ने किया है। यह संस्था एचसीएल फाउंडेशन के सहयोग से जनपद गौतम बुद्ध नगर में कार्यरत है। आज अन्तर्राष्ट्रीय सड़क एवं कामकाजी बच्चों के दिवस के अवसर पर हर वर्ष की तरह इस बार भी स्ट्रीट टॉक का कार्यक्रम आयोजित किया जो कि मशहूर कार्यक्रम टेड टॉक की तर्ज पर है। इस वर्ष स्ट्रीट टॉक का चौथा संस्करण था, जो कोविड को देखते हुए वर्चुअल तरीके से मनाया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली , लखनऊ , गुरुग्राम के बच्चों के साथ – साथ नोएडा के भी 03 सड़क एवं कामकाजी बच्चों ने भी भाग लिया, जिसमें उन्होंने अपनी कहानी अपनी ही जुबानी सभी के सामने रखा। बच्चो ने अपने जीवन के संघर्ष को इस मंच के द्वारा सबके समक्ष साझा किया, और इन बच्चों ने बताया, कि “हमे कम उम्र में अपने परिवार को चलाने के लिए काम करना पड़ता हैं, (कबाड़ा बीनना, गुब्बारे बेचना, ठेली लगाना, गुलाब बेचना) क्योकि हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही है, और काम के दौरान हमे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं, व समाज में हमारी कोई पहचान नही है तथा हमे लोग हीन भाव से देखते है, और हमारे पास शिक्षा प्राप्ति का भी कोई साधन नहीं है, तभी हमारे जीवन में शिक्षा का प्रकाश दिखाते हुए एक संस्था मिली चेतना संस्था सहयोगी एचसीएल फाउंडेशन इन्होंने हमे शिक्षा की रोशनी दिखाइ, जो हमारे लिए शिक्षा का ज़रिया बनी व हमे एक पहचान दी”।
इसके साथ ही साथ नॉएडा के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो के साथ भी ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से इंटरनेशनल स्ट्रीट चिल्ड्रेन डे मनाया गया जिसका उद्देश्य इन सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के मन में सड़क एव काम काजी बच्चो के प्रति सहानुभूति और सहयोग की भावना को जागरूक करना था। इस अवसर पर सभी बच्चों को बताया गया कि ऐसे बच्चे जो की बुनियादी सुविधाओ से वंचित है वह आप ही के समाज के है कभी भी इन बच्चो के साथ ऐसा व्यवहार न करे की इनके मन को चोट पहुचे इनसे कभी भी कोई भेद भाव न रखे इस तरह सभी स्कूली बच्चो को जागरूक किया गया ।
नॉएडा में ही चेतना द्वारा पुलिस के सहयोग से संचालित नन्हे परिंदे कार्यक्रम के तहत एक चित्रकला प्रतियोगिता करवाई जिसमे शाहर के अलग अलग हिस्सों से लगभग 100 से ज्यादा बच्चों ने भाग लिया और सड़क एवं कामकाजी बच्चों के जीवन के अलग अलग पहलुओ को चित्र के माध्यम से दिखाया। कई बच्चों ने दिखाया कि वह पढ़ना चाहते है, अच्छे अच्छे कपडे पहनना चाहते है और अन्य बच्चों की तरह एक आम जिन्दगी जीना चाहते है। कार्यक्रम के अंत में ट्रैफिक पुलिस के पुलिस कर्मियों ने बच्चों के चित्रों को देखकर प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार भी दिए।
निदेशक श्री संजय गुप्ता ने कहा की इस समारोह का मुख्य उद्देश्य सड़क एव कामकाजी बच्चो के लिए समर्थन और जागरूकता फैलाना है जिससे की उन्हें एक पहचान मिले और लोग इस बात को समझे की ये बच्चे औरो से अलग नहीं है।