ग्रेटर नोएडा | शालू शर्मा :
कोरोना महामारी में सैकड़ों गांव के लोगों ने ऑक्सीजन वेंटीलेटर बेड अस्पताल में एडमिट ना होने की वजह से दम तोड़ दिया। प्रधिकरण से अनुरोध है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कई सौ करोड़ की लागत से लगभग तैयार हुआ कार्यालय जिसकी दो बिल्डिंग खाली हैं इस महामारी के समय में स्थानीय लोगों के लिए संजीवनी का काम कर सकता है। खाली पड़े कार्यालय में सैकड़ों बेड का कोविड अस्पताल स्थाई रूप से चलाया जा सकता है।
यदि प्राधिकरण के ceo नरेंद्र भूषण जी चाहे तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत सारे संसाधन पहले से ही मौजूद हैं। अस्पताल को चलाने के लिए जरूरी मेडिकल स्टाफ के लिए प्राधिकरण के अंतर्गत 44 नर्सिंग इंस्टिट्यूट मौजूद है।
दर्जनों मेडिकल कॉलेज प्राधिकरण के अंतर्गत आते हैं जहां से मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर हायर करके अस्पताल को चलाया जा सकता है। नए वेंटिलेटर एअरलिफ्ट द्वारा खरीदी जा सकते हैं। इसके साथ ही ऑक्सीजन के लिए भी इनॉक्स कंपनी जो सूरजपुर में स्थित है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत आती है।
इस स्थिति में केवल और केवल सीईओ एवं नोडल अधिकारी के कुछ ना करने की इच्छा के कारण लोगों को सड़कों पर मरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
जिलाधिकारी महोदय से अनुरोध है की एक टीम बनाकर कोविड़ अस्पतालों की जांच कराई जाए। जो खाली बेड को भरे दिखाकर गलत आंकड़े दे रहे हैं और मरीजों से बहुत अधिक पैसा वसूल कर रहे हैं ऐसे हॉस्पिटलों का लाइसेंस निरस्त किया जाए।
साथ ही उनके संचालक के खिलाफ FIR दर्ज की जाए। हम इस महामारी में आंदोलन करना नहीं चाहते लेकिन अपने लोगों को मरने के लिए भी नहीं छोड़ सकते और जो मरीज वापस लौटा रहे हैं यदि 1 हफ्ते में अनियमितताओं को दूर नहीं किया गया तो आजाद समाज पार्टी भीम आर्मी अखिल भारतीय गुर्जर परिषद संयुक्त रूप से इन अस्पतालों के सामने कोविड गाइडलाइन व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बड़ा आंदोलन करेगी। साथ में ऑक्सीजन रिफिलिंग के लिए केंद्र बनाने के लिए आपके सफल प्रयास की सराहना भी करती है।
समाचार पत्र समाज और समाज के लोगों के लिए काम करता है जिनकी कोई नहीं सुनता उनकी आवाज बनता है पत्रकारिता के इस स्वरूप को लेकर हमारी सोच के रास्ते में सिर्फ जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता ही बाधा है हमारे पाठकों से इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें और अगर मदद करना चाहते हैं तो पेटीएम करें 9810402764