दादरी की चुनाव डायरी (भाग 2) आर्य सागर खारी

ग्रेटर नॉएडा
बुजुर्गों की एक कहावत है’ लिखतम के आगे बकतम नहीं चलती’ अर्थात प्रमाणित लिखित आंकड़ों के सामने जुबानी कहासुनी टिक नहीं पाती। आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 सीटों के लिए प्रचार का आखिरी दिन है शाम को प्रचार थम जाएगा 10 फरवरी को मतदान है बात दादरी विधानसभा की करते हैं जिसमें 6 लाख के लगभग मतदाता है। चुनाव में मत पंथ संप्रदाय जाति के प्रभाव की सच्चाई को कोई नहीं नकार सकता मतदाताओं के प्रमाणित जातिगत आंकड़े तो किसी के पास भी नहीं है किसी के पास क्या भारत सरकार के भी पास आज तक जातिगत आंकड़े नहीं है क्योंकि जातिगत जनगणना कभी नहीं हो पाई है। लेकिन विधानसभा वार जातिगत आंकड़ों में जाति विशेष की बहुलता या कमी के आंकड़े मोटे मोटे सभी के पास रहते हैं। बात दादरी विधानसभा की ही करते हैं। दादरी विधानसभा में पिछले 5 वर्षों में शहरी प्रवासी मतदाताओं के कारण इस बार पूरा समीकरण ही प्रभावित हो गया है। दादरी विधानसभा में शहरी ग्रामीण कस्बाई अनियमित कालोनियों के मतदाताओं का विवरण इस प्रकार है।

ग्रेटर नोएडा शहर अल्फा बीटा गामा आदि सेक्टर ग्रेटर नोएडा वेस्ट की बिल्डर सोसायटीओं के मतदाताओं की संख्या ।

120000 वोटर।

दादरी कस्बे का वोटर
87506

सूरजपुर कुलेसरा चिपयाना बुजुर्ग हैबतपुर साबेरी जलालपुर छपरौला तिलपता देवला आदि दर्जनों कॉलोनियों का वोटर।

60000

दादरी विधानसभा के समस्त शेष ग्रामों का ग्रामीण वोटर।

337925।

स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है दादरी विधानसभा 2022 आते-आते पूरी तरह ग्रामीण विधानसभा नहीं रही है प्रवासी वोटर जो अब यहां का स्थानीय निवासी हो गया है वह चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर रहा है 2019 के लोकसभा चुनाव में दादरी विधानसभा चुनाव भी ऐसा ही हुआ है । उपरोक्त प्रदर्शित आंकड़ों पर किसी को कोई शंका हो तो उल्लेखनीय होगा कि यह आंकड़े मुख्य चुनाव अधिकारी उत्तर प्रदेश लखनऊ के कार्यालय द्वारा जारी की गई दादरी विधानसभा क्षेत्र की शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की बूथ संख्या मतदाताओं की संख्या के विश्लेषण के आधार पर प्रस्तुत किए गए हैं अर्थात आंकड़ों का स्रोत चीफ इलेक्टरल ऑफीसर उत्तर प्रदेश का कार्यालय है।

दादरी विधानसभा में मुकाबला त्रिकोणीय नहीं सपा आरएलडी गठबंधन के प्रत्याशी राजकुमार भाटी जी के भाजपा प्रत्याशी तेजपाल नागर के बीच है। ग्रामीण क्षेत्र में गठबंधन प्रत्याशी भारी बढ़त बनाए हुए हैं वही दादरी कस्बे में आज दिनांक पर्यंत मुकाबला बराबरी का है सूरजपुर में भी मुकाबला बराबरी का है ग्रेटर नोएडा के शहरी वोटर में भाजपा 70% वोट ले रही है भारी बढ़त ले रही है कालोनियों में मुकाबला 60 बनाम 40 फीसदी का है अर्थात 60 प्रतिशत मतदाता भाजपा के पक्ष में है 40 फीसदी मतदाता गठबंधन के साथ है कॉलोनियों में भी भाजपा बढ़त ले रही है हालांकि गठबंधन प्रत्याशी राजकुमार भाटी जी ने इस बार कालोनियों के वोटर के लिए विशेष रणनीति पथिक विचार केंद्र का गठन कर बनाई है वह रणनीति कितना उनके पक्ष में जाती है यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा। पिछले 3 विधानसभा चुनावों का विश्लेषण करें तो शहरी बूथों पर मतदान का प्रतिशत औसत 45 फीसदी रहा है वही ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत के आसपास रहा है दादरी कस्बे में औसत मतदान 50 फीसदी रहता है यह आंकड़ा यदि इस बार भी बरकरार रहता है तो गठबंधन को इससे फायदा है यदि ग्रामीण बूथों पर मतदान प्रतिशत 70 फ़ीसदी के अप्रत्याशित आंकड़े को छू लेता है तो गठबंधन की विजय सुनिश्चित है जिस पार्टी प्रत्याशी का बूथ मैनेजमेंट बेहतर रहेगा वह भारी लाभ उठाएगा लेकिन प्रत्येक बूथ पर चाहे कस्बाई हो या ग्रामीण बसपा गठबंधन को आंशिक नुकसान पहुंचा रही है भाजपा को परोक्ष तौर पर फायदा पहुंचा रही है गठबंधन के नेता यह दावा कर रहे हैं कि इस बार दलित वर्ग का वोट उन्हें भारी संख्या में मिल रहा है यह आंकड़ा कितने सत्य है यह अभी भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। श्री राजकुमार भाटी यह दावा कर रहे हैं इस बार उन्हें ग्रेटर नोएडा की सोसायटी ओं सेक्टरों का भी वोट अच्छा खासा मिल रहा है यहां यह उल्लेखनीय होगा कि ग्रेटर नोएडा की सोसायटी ओं में जो शहरी वोटर है उसमें तीस फीसदी स्थानीय निवासी है यह दावा यदि सत्य है तो यह भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं है।

मामला द्विपक्षीय है गठबंधन बनाम भाजपा।
देखते हैं विजय श्री किसको मिलती है ।

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