1857 के क्रांतिनायक धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ द्वारा महाराणा प्रताप की संघर्ष गाथा

मेरठ | श्रुति नेगी :

यहां पर 1857 की क्रांति नायक धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ द्वारा इतिहास के अमर सपूत महाराणा प्रताप की संघर्ष गाथा को नमन राष्ट्रीय वेबिनार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सांसद और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विजय पाल सिंह तोमर ने और इंजीनियर अजयकुमार सिंह,  प्रेस महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य, वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी राकेश छोकर, गायत्री सिंह, जम्मू से उपस्थित रहे देवेंद्र सिंह सांबा, श्री एसके नागर, समाजशास्त्र के प्रोफेसर और वरिष्ठ चिंतक प्रोफेसर राकेश राणा, ने अपने विचार वियक्त करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप का भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। और उनकी म्हणता का बखान किया।

इसी के साथ श्री तोमर ने कहा कि आज इतिहास के पुनरलेखन की आवश्यकता है जिसमें महाराणा प्रताप को समुचित स्थान दिया जाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप और धनसिंह कोतवाल को इतिहास में वह स्थान नहीं मिला जिसके वह वास्तव में हकदार थे।

वैबिनार में श्री राज सिंह ,श्री राजबल सिंह, श्री प्रदीप सिंह, श्री बलबीर सिंह, श्री सुनील बासट्टा, सिम्मी भाटी , श्री तनु प्रसाद , श्री सरजीत सिंह, श्री ललित राणा आदि उपस्थित रहे और उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए और क्रांतिकारी धन सिंह कोतवाल और महाराणा प्रताप दोनों के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर अपनी भावपूर्ण भावांजलि पुष्पांजलि दोनों महानायकों के प्रति समर्पित की।

कार्यक्रम के अंत में श्री भोपाल सिंह गुर्जर द्वारा सभी उपस्थित वक्ताओं और अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि महानायकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारकर उनके जैसे काम करें और अपनी मां भारती के प्रति समर्पित होकर भारत को विश्व गुरु के पद पर विराजमान करने के लिए संकल्पित हों।

कार्यक्रम में प्रधानाचार्य डॉ रणवीर सिंह ,प्रमुख बलवीर सिंह, के.डी. हिमाचली,  ललित राणा, धनंजय सिंह,  राघव राजपूत, महिपाल सिंह यू एन आई ब्यूरो चीफ मुरादाबाद, हिमांशु तोमर, राजबल सिंह, डॉक्टर यतेंद्र कटारिया, डॉक्टर कृष्ण कांत शर्मा, डॉ नवीन चंद्र गुप्ता, डॉक्टर पूनम सिंह, श्रीमती सिम्मी भाटी, महेश आर्य,  सुनील बसट्टा, कैप्टन सुभाष ललित राणा आदि ने अपने उद्बोधन द्वारा महाराणा प्रताप की संघर्ष गाथा को नमन किया

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