आवारा पशु गांव को छोड़कर हाईवे और शहरी सड़कों की तरफ रुख करने लगे हैं।
गौतम बुध नगर । कपिल कुमार
आजकल पशु चारे का अकाल और लंबी नामक चर्म रोग अपने लगभग 15 राज्यों के 20 लाख पशुओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया है इस बीमारी से करीब 1 लाख पशुओं की मृत्यु हो चुकी है दूसरी ओर पशुपालक मवेशियों के लिए चारे की समस्या से जूझ रहे हैं ज्वार बाजरा जैसी हरे चारे की समस्या कई कारणों से पैदा हुई है। इस वर्ष जो चारे की कमी आ खड़ी हुई है उसका तत्कालिक कारण देर से अत्याधिक बारिश है बारिश के कारण काफी फसलें बर्बाद हुई है और अब चारे के दाम आसमान छूने लगे हैं जिन्हें खरीदना आम किसान के लिए आसान नहीं है जिसके कारण अनुपयोगी पशुओं को आवारा छोड़ा जा रहा है।
पशु चारे की आसमान छूती कीमतें
जो भूसा पहले 100 से 200 रुपए मन (40 किलोग्राम) मिल जाता था। अब उसकी कीमत 500 से 600 रुपए हो चुकी है यही हाल धान की कुटी का है उसके भी रेट दोगुने हो चुके हैं वो भी 500 से 700 रुपए कुंटल मिल रही है। वही चारे की उपलब्धता भी संतोषजनक नहीं है।
दूध की कीमतों से किसान नहीं कर पा रहा है अपनी भरपाई
पशु चालकों को दूध की सही कीमत भी नहीं मिल पा रही है किसान को दूध की 50-60 रुपए प्रति लीटर की कीमत मिल रही है। जोकि किसान के लिए घाटे का सौदा है खल के रेट दोगुने हो चुके हैं पशुओं की कीमत लाखों में हो चुकी है चारे की कीमत आसमान छू रही हैं यह सभी चीजें किसान को भी अब बाजार से ही खरीदनी होती है एक दुधारू पशु का रोजाना का खर्चा 400 से ₹500 तक है जबकि औसतन एक गाय या भैंस 6 से 10 लीटर के बीच में ही दूध देती है।जब किसानों के पास अपनी जमीन थी अपना चारा उगाया जाता था उस समय किसान को दूध बेचकर कुछ आमदनी हो जाया करती थी लेकिन आज के समय में दूध बेच कर भी किसान घाटे में ही है जबकि दूध खरीदने वाला फायदे में है।
गौतम बुध नगर में चारा उगाने के लिए पर्याप्त जमीन नहीं बची है पहले पशु परती जमीनों, तालाबों और नदियों के किनारे चरते थे। अब न तालाब बचे हैं न ही नदी तटों पर फैलाव है नदी के किनारों पर अवैध निर्माण हो चुके हैं पशुओं को चराने का काम लगभग खत्म हो चुका है।
आवारा पशु के कारण बढ़ी है सड़क दुर्घटनाएं
किसानों ने जैसे-जैसे पशुओं को आवारा छोड़ना शुरू किया उनकी संख्या बढ़ती ही गई फिर लोगों ने पशुओं को गांव से खदेड़ना शुरू कर दिया पशुओं ने सड़कों को अपना आशिया बना लिया। अब जगह-जगह सड़कों पर दर्जनों पशु एक साथ बैठे हुए दिखाई देते हैं जिस कारण सड़कों पर पशुओं से होने वाली दुर्घटनाएं तेजी से बढ़ी है पशुओं के कारण अब इंसान भी सड़क दुर्घटना में अपनी जान गवा रहे हैं।
अनुपयोगी और आवारा पशुओं के कारण खेती के नुकसान की समस्या अलग से खड़ी हो गई है पशुओं से किसानों का जो आत्मीय रिश्ता था वह दुश्मनी में बदल गया है गौशाला में भी नहीं मिल पा रही है ज्यादातर आवारा पशुओं को जगह और ना ही सरकार की तरह से कोई ठोस रणनीति बनाकर के कोई कार्यवाही की जा रही है आवारा पशुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है अगर समय रहते कोई कदम नहीं उठाया तो भविष्य में है एक विकट समस्या खड़ी हो जाएगी।
