यमुना प्राधिकरण आवासीय स्कीम: 361 प्लॉट, खबरों के माध्यम से 1500 से 2000 प्लॉट और जोड़ने की बात, अंतिम समय में इनकार, जिम्मेदार कौन?

ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी

एक फिल्मी गाने के बोल है कि सखी, सैया, खूबई कमात है, महंगाई डायन खाए जात है। इस प्रकार गरीब और आम आदमी की आमदनी तो कुछ ही बढ़ती है लेकिन महंगाई उसकी पहुंच से दूर भाग रही है। गौतम बुध नगर में तीन प्राधिकरण बनाए गए हैं नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण तीनों को मिलकर अपने अपने शहर विकसित करने हैं। जिनमें उन्हें गरीब, मिडिल क्लास और अपर क्लास का ध्यान रखते हुए शहर का विकास करना था लेकिन यह तीनों ही प्राधिकरण गरीबों और मिडिल क्लास को भूल गए। उनके लिए शहर में कोई जगह नजर नहीं आती है। जहां पर वह प्राधिकरण से प्लॉट या फ्लैट लेकर के रह सके। क्योंकि उनकी कीमतें इनकी पहुंच से बहुत दूर हो चुकी है।

यमुना प्राधिकरण ने निकाली 361 आवासीय प्लॉटों की स्कीम, बताया गया था स्कीम में 1500 से 2000 प्लॉट और जोड़े जाएंगे, अंतिम समय में इनकार

यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 361 आवासीय प्लॉटों की स्कीम निकाली थी। जिसमें ड्रा के माध्यम से लोगों को प्लॉट अलाउड होने हैं। जिसकी अंतिम तिथि 5 अगस्त थी और उस समय तक लगभग एक लाख फॉर्म भर चुके थे। लेकिन यमुना प्राधिकरण ने अंतिम तिथि को बढ़ाकर के 23 अगस्त कर दिया और साथ ही खबरों के माध्यम से घोषणा की 361 प्लाटों में 1500 से 2000 प्लॉट और जोड़े जाएंगे। इसी योजना में जिनको देखते हुए लोगों ने योजना में बढ़-चढ़कर भाग लेना शुरू कर दिया और फॉर्म भरने वाले लोगों की संख्या लगभग ढाई लाख के आसपास पहुंच गई। लेकिन जब अंतिम तिथि नजदीक आई तो प्राधिकरण ने नए प्लॉट योजना में जोड़ने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि हमारे पास जमीन नहीं है। आखिर लोगों को गुमराह करने की जिम्मेदारी कौन लेगा, जिस उम्मीद से लोगों ने फॉर्म भरे हैं। प्लॉटों की संख्या बढ़ाने के कारण ही इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने फॉर्म भरे हैं आखिरकार लोगों को गुमराह क्यों किया गया उन्हें गलत जानकारी दी गई?

मात्र 361 प्लाटों के लिए लगभग ढाई लाख फॉर्म भर जाना। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महंगाई की किस कदर बढ़ चुकी है लोगों को इस स्कीम से आश है कि उन्हें भी कम दामों पर प्लॉट मिल जाएगा। लेकिन प्लॉटों की संख्या न बढ़ने के कारण उनकी उम्मीद है और काम हो गई है।

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