National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अदालत में दावा किया है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अधिग्रहण में फर्जीवाड़ा किया गया। ईडी की ओर से अदालत में पेश हुए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बताया कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड को केवल AJL का अधिग्रहण करने के लिए बनाया गया था। कंपनी के पास करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जिसे महज 90 करोड़ रुपये के कर्ज के बदले हासिल कर लिया गया।
National Herald Case: राजू ने कोर्ट में दिए ये बयान
राजू ने कोर्ट में बताया कि यंग इंडियन कंपनी के प्रबंधकीय पदों पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा शामिल थे। उन्होंने कहा कि AJL की आर्थिक हालत खराब थी, अखबार का प्रकाशन बंद हो चुका था और आमदनी का कोई साधन नहीं था। कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, लेकिन न तो ब्याज लिया गया और न ही कोई जमानत। इतना ही नहीं, यह कर्ज बाद में सिर्फ 50 लाख रुपये में यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया। National Herald Case में ईडी का कहना है कि यह पूरी योजना एक साजिश के तहत की गई, जिसमें असल कोई वित्तीय लेन-देन नहीं हुआ।
ईडी ने किया ये दावा
नेशनल हेराल्ड की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी और इसे कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र माना जाता था। वर्ष 2008 में आर्थिक संकट के कारण इसका प्रकाशन बंद हो गया। 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद ईडी ने जांच शुरू की। National Herald Case में अब जांच एजेंसी का दावा है कि यंग इंडियन कंपनी में राहुल और सोनिया गांधी की 76% हिस्सेदारी है और उनके इशारे पर यह संपत्ति हड़पने की साजिश रची गई।
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