ग्रेटर नोएडा।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने स्थानीय किसानों की भूमि को प्राधिकरण ने बहुत ही कम दरों पर खरीदा। किसानों को जो मूलभूत सुविधाएं शिक्षा एवं चिकित्सा में छूट मिलनी चाहिए थी। लेकिन स्थानीय किसान आज भी उन सुविधाओं से कोसों दूर है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने शहर को बसाने के लिए स्कूल कॉलेज एवं अस्पतालों को बहुत ही सस्ते दरों पर जमीन आवंटित की। इसके बदले स्थानीय किसानों को शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में छूट देने की शर्त रखी गई थी। इन शर्तों को लागू कराने हेतु करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने अपर मुख्य कार्यपालक पुलकित खरे को ज्ञापन सौंपा।
करप्शन फ्री इंडिया संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय ने बताया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने स्कूल कॉलेज एवं अस्पतालों के नाम पर बहुत ही सस्ते रैटों में जमीन आवंटित की। इसके बदले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले स्थानीय किसानों को शिक्षा व इलाज के नाम पर छूट देने की शर्त भी रखी थी। प्राधिकरण ने सन 2016 में स्कूल एवं अस्पताल संचालकों को बुलाकर सहमति के आधार पर कानून बनाया की स्थानीय किसानों को 2 घंटे सुबह 2 घंटे शाम ओपीडी फ्री रखेंगे। गंभीर बीमारी होने पर भी स्थानीय किसानों को इलाज में भारी छूट दी जाएगी। वहीं शिक्षण संस्थानों के द्वारा भी स्थानीय किसानों के बच्चों को ट्यूशन फीस में 25% एवं अतिरिक्त शुल्क के नाम पर कोई भी चार्ज नहीं लिया जाएगा। लेकिन पिछले 7 वर्षों से स्थानीय किसानों को शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में कोई भी सुविधा नहीं मिल पाई है। चौधरी प्रवीण भारतीय ने कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कई मुख्य कार्यपालक आए और गए लेकिन कोई भी इस कानून को पूर्ण रूप से लागू करने में असमर्थ रहा। उन्होंने बताया कि अगर जल्द ही शिक्षण संस्थानों एवं अस्पतालों में स्थानीय किसानों को लीज डीड अनुसार जल्द ही लाभ नहीं मिला तो करप्शन फ्री इंडिया संगठन आंदोलन करेगा।
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