मेहनत और किस्मत एक सिक्के के दो पहलू हैं आलसी लोग सिर्फ किस्मत पर ही निर्भर होते हैं जबकि लोग किस्मत को नहीं सिर्फ कर्म को ही समझते हैं वह कर्म करके ही अपनी असफल ज़िंदगी को सफल बनाते हैं मानव वह अंधेरे को रोशनी से भरते हैं जबकि हमेशा किस्मत का ही रोना रोते हैं और वह लोग यही बोलते हैं कि जो किस्मत में होना होगा वही होगा और इसी को सोच सोच कर नकारात्मक सोच से भर जाते हैं इसलिए जो इन्हें किस्मत में मिलता है काम चलाते हैं वह आलस में इस तरह लीन हो जाते हैं कि योगिता को भी नहीं पहचान पाते है
वह लोग खुद को दोस्त नहीं देते हमारी पवित्र ग्रंथ गीता में भी यही कहा गया है की कर्म करो फल की चिंता मत करो यह कहावत मेहनती लोगों पर सटीक बैठती है मांझी ने मेहनत करके पहाड़ को तोड़ कर रास्ता बना दिया अगर वह भी अपनी किस्मत का रोना रोता तो वह कभी पहाड़ नहीं तोड़ पाता
थॉमस एडिसन ने कहा था 5% लोग सोचते हैं 10% लोग सोचते हैं कि वह सोचते हैं और बाकी बचे 85 प्रतिशत लोग सोचने से ज्यादा मरना पसंद करते हैं चलो नकारात्मक चीजों से भरे होते हैं इस कारण वे बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं जैसे शुगर ब्लड प्रेशर आदि बीमारियां होने जकड़ लेती है इसलिए वह अपनी जिंदगी में विफल हो जाते हैं और जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाते और अपने जीवन को लेते हैं क्योंकि आलस्य ही मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है इस को त्याग कर भी जिंदगी में आगे बढ़ा जा सकता है
मेहनत के दम पर एक सफल इंसान कहलाया जा सकता है
मैं बस यही कह सकता हूं कि करने वाला कुछ भी कर सकता है उन्हें करने वाला कुछ नहीं कर सकता अंतरिक्ष तक पहुंच गए
बिना मेहनत के कभी फल नहीं मिलता और फल कभी भी किसी के साथ नहीं चलता
कुछ लोग ने कुछ करने के लिए ही पैदा होते हैं और वो इन्हीं में से एक होते हैं
इस दुनिया में कोई भी काम ऐसा नहीं जो असंभव हो सब कुछ संभव है
दीपक
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