आर टी आई के माध्यम से भ्रस्टाचार से जंग लड़ते, एक जागरूक युवा और देशभक्त नागरिक श्री रंजन तोमर से बात की हमारे सीनियर एडिटर प्रोफेसर(डॉ) दीपक कुमार शर्मा ने, यहां प्रस्ताव हैं, उस बातचीत के प्रमुख अंश,
रंजन तोमर जी, नोएडा व्यूज के सख्शियत कार्यक्रम में आपका स्वागत है।
आपका हृदय से आभार, मुझे इस कार्यक्रम में बुलाने के लिए।
रंजन जी, हमारे पाठको को अपना परिचय अपने शब्दों में स्वयं दीजिये ?
श्रीमान जी, मेरा नाम रंजन तोमर है, मेरे पिताजी किसान रहे है, एक अच्छे लेखक और व्यंग्यकार के रूप में स्थापित है,और विभिन्न विषयों पर 23 पुस्तके लिख चुके है। मैं नोएडा के रोहिल्ला पुर गांव का निवासी हूँ, दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ किया है औऱ एमिटी विश्वविद्यालय से पी एच डी कर रहा हूँ।
रंजन जी आर टी आई के प्रति आपका रुझान कब और कैसे हुआ ?
श्रीमान जी, मैं कानून का विद्यार्थी रहा हूँ तो उसी दौरान इस कानून को गहराई से पढ़ा, और इसके बारे में विस्तार से जाना। मुझे लगा कि इम्प्लीमेंटेशन के दृष्टिकोण से ये सबसे सरल और उपयोगी कानून है,और इसके दांत बेहद मजबूत हैं, जिसकी सहायता से आप बगल के तहसील दफ्तर से लेकर, प्रधानमंत्री कार्यालय तक से मनचाही सूचना प्राप्त कर सकते है, इन सब कारणों से, मेरा इस कानून के प्रति रुझान बढ़ने लगा।
आपने पहली आर टी आई, कब और क्यों लगाई ?
पहली घटना कुछ यूं हुई की नोएडा सेक्टर 18 में एक पार्किग थी, और वहां टेक्स वगैरा लगाके,कुछ 14, साढ़े चौदह रुपये शुल्क था, पर जनता से प्रति पर्ची 20 रुपये वसूले जाते थे वो ऊपर के पैसे पार्किग माफिया और अधिकारियों की जेब मे जाते थे, मैंने इसके विरुद्ध आवाज उठाई, और पहली आर टी आई भी मेरी इसी विषय पर थी, आर टी आई में जवाब गोल मोल आया तो अपील लगाई, संघर्ष थोड़ा लंबा जरूर चला, पर अंततः वो ऊपर की उगाही बंद हो गयी,और पार्किग शुल्क का नियमित करण प्राधिकरण को करना पड़ा। ये मेरी बहुत छोटी सी विजय थी, पर इससे मेरा बहुत उत्साह बढ़ा।
उसके बाद के सफर के बारे में हमे बताइये ?
बस फिर तो एक जुनून सा पैदा हो गया,और तमाम जनहित के मुद्दों, जैसे पर्यावरण, शिक्षा और लोकतंत्र शशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर मैंने तहसील कार्यालय, जिला अधिकारी कार्यालय, विभिन्न मंत्रालयों और प्रधानमंत्री कार्यालय आदि में आर टी आई लगाई और अनेको महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की, जिनके बल पर कई जगह, भ्रस्टाचार पर रोक लगवाने में भी कामयाबी मिली।
आपको आर टी आई के जवाब आसानी से मिल जाते है, या कभी कुछ मुश्किलें भी आई है?
ये आपने बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है,महोदय। वास्तविकता ये है, सर् की, वे सूचनाएं जिनसे किसी अधिकारी या कार्यालय का भरस्टाचार उजागर न हो रहा हो, या उनकी कोई गलती पकड़ में नही आ रही हो, ऐसी सूचनाएं तो आसानी से और तय समय में मिल जाती है,, पर जिन सूचना के कारण विभाग का भ्रस्टाचार या गलती उजागर होती हो, उन सूचनाओ की प्राप्ति में कुछ मशक्कत करनी पड़ जाती है,अपील का सहारा लिया जाता है,,,अपील की सुनवाई के दौरान अफसर हतोत्साहित करने का प्रयास करते है, पर यदि आप लगे रहे, तो सही और वास्तविक सूचना मिलती जरूर है।
अपने जैसे अन्य युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे ?
नैतिक मूल्यों का पतन कहूँ या बदलते समाज की जरूरत के कारण, आज का युवा कुछ स्वार्थी से होता जा रहा है।मेरा उनसे इतना ही कहना है कि, ये देश है तो हम है,,हम सब को इस देश को बेहतर से भी बेहतर बनाने का हर संभव प्रयास करना है, तो अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के साथ साथ थोड़ा समय जनहित के मुद्दों को भी दें। देश और समाज की बेहतरी के लिए प्रयास करना, हमारा राष्ट्रिय कर्तव्य भी है, तो इस कर्तव्य का पालन करे। वो भ्रस्टाचार मिटाने की मुहिम में आर टी आई लगाकर हमारा साथ दे सकते हैं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर, पर्यावरण संरक्षण कर सकते है,पानी बचाने की मुहिम चला सकते है, गरीबो को शिक्षित कर सकते है, बहुत काम है,,,कोई एक वो इनमे से जरूर करें।
नोएडा व्यूज ने ये मुहिम निकाली है कि, आप जैसे जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओ को पहचान दिलाई जाय, हमारी इस मुहिम के बारे में आपका क्या कहना है ?
बहुत सराहनीय पहल है। मीडिया लोकतंत्र की मजबूती में सबसे सार्थक योगदान कर सकता है। जमीनी हकीकत और वहां संघर्ष कर रहे हम जैसे कार्यकर्ताओ का जनता से रूबरू कराने का आपका यह प्रयास ,तारीफ के काबिल है,और दिल की गहराइयों से इसकी प्रशंशा करता हूँ।
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