लॉक डाउन के होने से ,वनस्पतियों में शांति।

आर्य सागर खारी : लोक डाउन के चलते पिछले 2 महीने से बड़ी छोटी तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद है| नतीजा वातावरण में CO2 ,no2 सहित तमाम प्रदूषण कारक गैसे की सांद्रता में कमी आई है वातावरण शुद्ध हुआ है इसका शीतल सकारात्मक प्रभाव फल सब्जी वनस्पति पर पड़ा है।
इस बार फलदार पेड़ों में वसंत ऋतु के बाद अधिक फलन हुआ है सब्जियों की लताओं कद्दू तोरई काशीफल पर रोगमुक्त फल फूल आ रहा है काफी संख्या में. अलग ही चमक है, इसका हमने भी अपने घर पर स्थित बगिया में प्रत्यक्ष किया है। अमरूद-, आडू नींबू पर बहुत अधिक फूल आया है आम नीम जैसे वृक्षों पर बगर काफी अच्छी आई है |सब्जी उत्पादक छोटे किसानों से हमारी बात हुई है जो जीवन यापन के लिए सब्जियों उगाते है वह कह रहे हैं इस बार अधिक उत्पादन सब्जियों का हुआ है ग्रीष्म ऋतु में, सब्जियों में गलन रोग में कमी आई है।

कुछ सब्जियों पर तो पेस्टिसाइड की इस्तेमाल करने की जरूरत ही नहीं पड़ी, जिन पर किया बहुत कम करना पड़ा।

इस सब से यही सिद्ध होता है पर्यावरण प्रदूषण सबसे बड़ा दानव है जड़ चेतन जगत के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है जबकि corona जैसे वायरस केवल चेतन प्राणियों को ही त्रस्त करते हैं। पर्यावरण प्रदूषण से स्वस्थ का दोहरा जोखिम होता है. फल फूल औषधियां जितनी शुद्ध रोगमुक्त रहेंगी उतना ही उनका प्रभाव रहेगा बीमारियों के खात्मे में।

प्राचीन विश्व गुरु भारत में जब वायु जल कुदरती तौर पर शुद्ध थे. इस पर भी हवन अग्निहोत्र के माध्यम से घर-घर द्वारा शुद्ध वायु को बल दायक पुष्टि दायक औषधीय वायु में रूपांतरित कर दिया जाता… यह वायु जब जल स्रोतों को छूती तो जल स्रोतों मैं जीवन तत्व भर जाता था. (वायु व जल का संपर्क होता है इस प्रक्रिया को हाइड्रोलॉजी में एयरनेशन बोला जाता है नदियों के जल में बायो ऑक्सीजन डिमांड इसी कारण घटती है अर्थात जल ऑक्सीजन से युक्त होता है जितना कम B.O.Q उतना ही शुद्ध जल होता है) पानी भी दूध के समान काम करता था | सचमुच वही स्वर्ग था अर्थात सुख विशेष ना कि स्थान विशेष.. यही स्वर्ग नरक की वैदिक परिभाषा है।


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