ग्रेटर नोएडा | शालू शर्मा :
कोरोना महामारी शहरों से निकलकर गांवों तक मे पैर पसार चुकी है। इस वैश्विक महामारी के चलते देश में हर तरफ दहशत का माहौल है । इस बीमारी को मद्देनजर रखते हुए सरकार एवं प्राधिकरण द्वारा सख्त प्रयास किये जा रहे है। परन्तु यह प्रयास भी काफी नहीं है। इसके लिए कहीं व्यवस्था तो फिर कहीं स्थानीय अधिकारी जिम्मेदार है।
कोरोना महामारी से सुरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोविड सेंटर बनाकर वैक्सीनेशन की व्यवस्था की गई है। सरकार ने वैक्सीनेशन कराने के लिए ऑनलाइन ऐप कोविन व आरोग्य सेतु पर पंजीकरण करना अनिवार्य किया हुआ है।
गौरतलब है कि गौतमबुद्धनगर जिले की बड़ी आबादी दादरी व जेवर के ग्रामीण क्षेत्र में भी बसती है। यहाँ ज्यादातर किसान निवास करते हैं। वहीं शहरी क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग के लोग निवास करते हैं। जिनमे अधिकांश लोग ऐसे हैं जो इंटरनेट चलाना नहीं जानते हैं। इस कारणवश वैक्सीनेशन के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कर सकते हैं। वहीं लॉकडाउन के कारण कम्प्यूटर साइबर कैफे भी बन्द है। वैसे भी अगर ये लोग इन साइबर कैफों पर जाकर वैक्सीनेशन का पंजीकरण कराएंगे भी तो वहां भीड़ लगेगी और कोविड प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ेंगी और साइबर कैफे संचालकों द्वारा पंजीकरण के नाम पर मोटे दाम वसूलकर आम ग्रामीणों, किसानों व मजदूरों का शोषण किया जा सकता है।
प्राधिकरण को इस बात पर ध्यान देना होगा कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा वैक्सीनेशन की इस व्यवस्था को बनाने में ग्रामीण क्षेत्र दादरी, जेवर के लिए अलग नजरिया और शहरी क्षेत्र नोएडा ग्रेटर नोएडा के लिए अलग नजरिये से व्यवस्था की गयी । इसके चलते आबादी के हिसाब से दादरी व जेवर में कम संख्या में वैक्सीनेशन सेंटर बनाए गए हैं और उन्हें प्रतिदिन मिलने वाली वैक्सीन की वायल की संख्या कम रखी गई है। वहीं शहरी क्षेत्र नोएडा ग्रेटर नोएडा में वैक्सीनेशन सेंटरों की संख्या भी अधिक है और वहां वैक्सीन वायल भी अधिक दी जा रही हैं।
प्प्रधिकरण से निवेदन है कि वैक्सीनेशन में ग्रामीण क्षेत्रों खासकर जेवर और दादरी में रहने वाले लोगों के साथ यह दोहरा व्यवहार न किया जाए। किसान, मजदूर, गरीब की समस्या को ध्यान में रखकर ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए और ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में प्रतिदिन आबादी के प्रतिशत के अनुसार बराबर-बराबर वैक्सीन की वॉयल का वितरण किया जाए। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन सेंटर की भी संख्या बढ़ाई जाए।
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