ग्रेटर नोएडा | अशोक तोंगड़ :
शासन/प्रशासन/निर्वाचन आयोग कर्मचारियों के साथ कैसा मजाक कर रहा है। शिक्षक एवं कर्मचारियों के लाख मना करने के बाबजूद जबरन चुनाव ड्यूटी में लगा कर मौत के मुंह में धकेल दिया और अब मौत को भी मौत नहीं मान रहे हैं।
कोरोना ऐसा विद्युत करेंट है कि सम्पर्क में आते ही आदमी नहीं मर जाएगा। किसी संक्रमित व्यक्ति से सम्पर्क में आए कर्मचारी पर संक्रमण का प्रभाव 3 से 7 दिन में होता है ऐसा चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है और उसके बाद कर्मचारी के फेफड़ों/हृदय/सुगर सिस्टम को प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो इलाज की स्थिति के अनुसार डेमेज होने में 10-15 दिन ले सकता है।
चुनावप्रशिक्षण/मतदान/मतगणना के समय संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आए कर्मचारी की मृत्यु कोरोना संक्रमण के कारण 10-15 दिन बाद तक हुई है और कुछ की मृत्यु तो कोरोना इलाज के बाद नेगेटिव आने के बाद पोस्ट कोविड इफेक्ट के कारण इससे भी देर में हुई है। शासन/प्रशासन/निर्वाचन आयोग 36 घंटे में कोरोना से मौत को मौत मानं रहा है लेकिन इस अवधि में तो कोई टेस्ट भी नहीं करा सकता। जिसके कारण ये आदेश अतार्किक एवं अवैज्ञानिक दिखाई देते है।
उत्तरप्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने गौतम बुद्ध नगर सरकार के इस निर्णय/आदेश की घोर निंदा करी। उक्त आदेश के शिक्षको/कर्मचारियों में सरकार/शासन/प्रशासन के प्रति भारी रोष हैऔर असुरक्षा का भाव है।
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