महामारी की मार से त्रस्त विश्व मानवता।

दिनांक 14 जून 2021 को ग्लोकल विश्वविधालय, सहारनपुर उ.प्र.द्वारा अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। विश्वविधालय के उपकुलपति प्रो. डॉ सतीश कुमार शर्मा जी वेबिनार का उद्घाटन करते हुए सभी विद्वानों का स्वागत किया और बताया कि कोरोना मानवता के लिए बड़ा खतरा है। इस विचार विमर्श में विश्व के विभिन्न देशों से विद्वानों ने सहभागिता की। विश्व का लघु भारत कहे जाने वाले छोटे से राष्ट्र फीजी से जुड़े युनिवर्सीटी ऑफ फीज़ी के संस्थापक समाजसेवी आर्य विद्वान प.भुवनदत्त जी ने अपने उदबोदन से इस वर्चुअल विचार विमर्श का शुभारंभ किया।
टोकियो, जापान में हिंदी तथा समाज सेवा में गत कई वर्षों से सक्रिय डॉ रमा शर्मा जी ने बताया किस प्रकार जापान ने कोविड को कैसे कंट्रोल किया।

उन्होंने बताया विश्व को मिलकर इस महामारी को हराना होगा। अगले वक्ता के रूप में फीजी में विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र , भारतीय दूतावास सूवा, फीज़ी के कोऑर्डिनेटर श्री संतोष मिश्रा ने कोरोना पर नियंत्रण के भारतीय प्रयासों की सराहना की है। उसके पश्चात युनिवर्सिटी ऑफ फीज़ी में हिंदी की वरिष्ठ प्रवक्ता श्रीमती मनीषा रामरक्खा ने बहुत ही संवेदनशील उद्बोधन के साथ बताया की हम सबको अपनी जीवन शैली को प्रकृति प्रेरक बना होगा। तभी हम ऐसी महामारी से पर पा सकते है। महामारियों के पीछे हम इंसानों को ही गतिविधियां है को जीवन को खतरे मै डालने के साथ पूरी विश्व मानवता को खतरे मै डाल रही है।


न्यूजीलैंड से भारत दर्शन ऑन लाइन पत्रिका के संपादक रोहित कुमार हैप्पी जी ने अपने संबोधन में सबको भावुक कर दिया। कोरोना महामारी में अपने कई करीबियों सहित अपनी छोटी बहन को खोया, यह जिक्र करते हुए अपनी छोटी छोटी कविता साझा की जो मानवता के लिए बड़ा संदेश थे।
इसी तरह फीजी से जुड़े अमित अहलावत जी ने कई काव्य पंक्तियों के साथ महामारी में तिरोहित हो रहे मानवीय मूल्यों के लिए आगाह किया। विश्व मानवता की रक्षा में अपने और अपनों के लिए समर्पित बने रहने की प्रेरणाएं इनकी पक्तियों में थी।
मुजफ्फरनगर जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक श्री गजेन्द्र कुमार जी ने अपने महत्वपूर्ण संबोधन में कोरोंना महामारी का शिक्षा क्षेत्र पर पड़े गंभीर प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की।साथ ही उत्तराखंड से जनपद हरिद्वार के जिला शिक्षा अधिकारी श्री एच पी विश्वकर्मा जी ने महामारी और मानवता पर भारत सहित वैश्विक संदर्भ में अपनी बात रखी। श्री विश्वकर्मा जी ने महामारी की मार से मानवता ना मरे इसके लिए सबको मिलकर जीना है।
हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविधालय के पूर्व छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ आर के श्रीवास्तव जी ने कोरोना महामारी की मार समाज के गरीब तबके पर सर्वाधिक रही। उनकी मदद विश्व मानवता की मदद होगी। हमे जरूरतमंदो तक जीवन जरूरतों से जुड़ी चीजें मुहैया कराने का मजबूत तंत्र खड़ा करना चाहिए।
इस वर्च्यूल विचार विमर्श के अंतिम वक्ता के रूप में युवा समाजशास्त्री, डॉ राकेश राणा ने विश्व मानवता पर महामारी की मार पर चर्चा करते हुए आज के छद्म भूमंडलीकरण पर सवाल खड़े किए और किस तरह से दुनियां की महाशक्तियां कहे जाने वाले देश वैक्सीन बना लेने के बावजूद भी अपनी स्वार्थी नीतियों तक अपने और अपने नागरिकों तक ही सीमित है। विश्व मानवता कराह रही है। भविष्य का विश्व वैसा ही बनेगा जैसा इस महामारी से जूझने के लिए हम इसको बना रहे है। वैश्विक एकजुटता ही सुन्दर दुनिया का निर्माण करेगी।

कार्यक्रम के अंत में ग्लोकल विश्वविधालय के शिक्षा विभाग से जुड़े डॉ वी. के. शर्मा जी ने सभी सुधिजनो का आभार व्यक्त किया और विश्व मानवता की रक्षा में सभी को एक साथ मिलकर चलना होगा। यह संदेश देते हुए भविष्य में भी निरंतर ऐसे विचार विमर्शों का आयोजन करते रहेंगे इसके साथ सबका आभार जताया। कार्यक्रम का सफल संचालन विश्व हिंदी प्रचारक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ सतीश कुमार शास्त्री जी ने किया। डॉ शास्त्री जी ने कार्यक्रम को बहुत ही अनुशासित ढंग से समय से संपन्न कराया। यह अंतरराष्ट्रीय विचार विमर्श विश्व कल्याण की राह निकालने में मददगार सिद्ध होगा। विबिनार में सहभागिता हेतु 600 से भी अधिक सहभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया और 375 के आस पास सहभागियों कि सक्रीय सहभागिता कार्यक्रम में शुरू से अंत तक बनी रही। ग्लोकल विश्वविधालय द्वारा यह शानदार आयोजन विश्व मानवता की सेवा में एक यज्ञ का काम करेगा।

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