आर्य सागर खारी
सर्दी आते ही दिल्ली एनसीआर उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है एयर क्वालिटी इंडेक्स आसमान छूने लगता है। प्रदूषण की समस्या के लिए सैकड़ों कारणों को जिम्मेदार ठहराया जाता है कहीं किसान की पराली तो कहीं उद्योग तो कहीं निर्माण तो कहीं मानवीय गतिविधियां जिनमें खुले में कचरा जलाना शामिल है। समस्याएं तो सैकड़ों गिनाई जाती हैं लेकिन समाधान शायद प्रस्तुत किया जाता है।
लेकिन हमें जानना होगा प्रकृति बेशक प्रदूषण ना फैलाती हो लेकिन मौसम का चक्र वायु प्रदूषण को खाद पानी जरूर देता है। इसे ऐसे समझिए प्रत्येक वर्ष जब सर्दी आती है तो वातावरण की ऑक्सीजन नाइट्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैस तेजी से ठंडी होने लगती है ।
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा वातावरण में हमारे आसपास सामान्य कमरे के तापमान पर ऑक्सीजन नाइट्रोजन जैसी गैसों के अणु परमाणु 7000 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से अनियमित गति करते रहते हैं। जैसे ही इन गैसों को ठंडा किया जाता है परम तापमान -273 डिग्री सेल्सियस पर लाया जाता है तो यह गति घटकर 20 किलोमीटर प्रति सेकंड तक आ जाती है।
1997 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार तीन भौतिक वैज्ञानिकों को इसी खोज के लिए मिला था उन्होंने हिलियम गैस के परमाणु को लेजर की सहायता से ठंडा कर प्रकाश किरणों से कैद कर लिया था। प्रकाश ने परमाणु को कैद कर लिया था।
अब अपने विषय की ओर लौटते हैं।
इससे यह निष्कर्ष निकलता है जब वातावरण में ताप घटता है तो वातावरण के वायुमंडल की गैसों की सक्रियता घट जाती है ऐसे में प्रदूषण गैस या धूल या जल वाष्प कुछ भी कहे इन सभी का गुब्बार अधिक तेजी से टिकता है बड़ा रूप लेता है। गर्मियों के बाद सर्दी सर्दी के बाद गर्मी यह चक्र अनादि है। समस्या तब होती है जब हम अपने क्रियाकलापों से इस वातावरण की प्राकृतिक गैसों को प्रदूषित कर देते हैं जहरीले आंखों से दिखाई ना देने वाले तत्व को चारों ओर फैला देते हैं जिसे पार्टिकुलेट मैटर कहा जाता है।
दिल्ली एनसीआर में आज कल हम देख रहे हैं कुछ 5 सदस्यीय परिवार के पास एक नहीं 2,2 कहीं-कहीं तीन तीन कारें हैं।
एक कार का ही उदाहरण सामने लेते हैं एक कार ईंधन के जलने पर मात्र 6 मिलीग्राम प्रदूषण प्रति किलोमीटर फैलता है लेकिन आप चौक जायेंगे वही कार जब ओवरलोडिंग से चलती है या कोई बड़ा वाहन जो माल ढोता है तो उसके टायर से प्रति किलोमीटर 6 ग्राम से लेकर 50 ग्राम प्रदूषक तत्व निकलते हैं ओवरलोडिंग के कारण वाहन के टायर सड़क से घर्षण ही उत्पन्न नहीं करते बल्कि जलते भी हैं जलते हुए टायर वातावरण को तेजी से प्रदूषित करते हैं आजकल दिल्ली एनसीआर में लाखों वाहन गुजर जाते हैं दिल्ली एनसीआर को ट्रैफिक जाम से बचाने के लिए तो चारों तरफ राजमार्ग निकाल दिए गए लेकिन प्रदूषण से बचाने के लिए कोई कार्ययोजना नहीं है ओवर लोडिंग पर कोई कानूनी कठोर कार्रवाई नहीं है जवाबदेंह यातायात विभाग तक की मंथली बड़े खिलाड़ियों से फिक्स होती है। बढ़ती वाहनों की संख्या या माल ढुलाई की आवश्यकता बढ़ती इंसानों की आबादी के लिए है प्रदूषण की समस्या के मूल में जनसंख्या विस्फोट भी इसके लिए जिम्मेदार है लेकिन कुछ भी हो सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार ही है नियमों को सुधार दिया जाए कठोर कार्रवाई समय रहते की जाए तो सर्दियों से पहले जानलेवा प्रदूषण की चादर को संकुचित किया जा सकता है इसे पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका कुछ कारण प्राकृतिक भी है जो इस आर्टिकल के आरंभ में उल्लेखित किए गये है।
वायु प्रदूषण से बचा नहीं जा सकता ना ही सुरक्षित रहा जा सकता है क्योंकि प्रदूषण फैलाता कोई और उसका खामियाजा सभी को उठाना पड़ता है दोषी तो खामियाजा भुगतता ही है हजारों वृक्षों का वृक्षारोपण करने वाला निर्दोष व्यक्ति के भी फेफड़े नाक कान आंख स्वसन तंत्र दिल मस्तिष्क जहरीले तत्वों से क्षतिग्रस्त होते हैं। फिलहाल हमारे पास प्रदूषित जल को साफ करने की विधियां है व्यवस्था है घर-घर आरओ सिस्टम है लेकिन प्रदूषित वायु मंडल को साफ करने की अभी कोई विश्वव्यापी सस्ती सुलभ तकनीक नहीं है ऐसे में अपने खान-पान को शुद्ध सात्विक रखिए प्रदूषण की मार से बचने में कुछ हद तक मदद मिलेगी।
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