कॉलोनाइजरओ के सामने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने क्यों टेके घुटने? अवैध निर्माण का काम आज भी चालू है

ग्रेटर नोएडा( कपिल कुमार)

ग्रेटर नोएडा शहर के गांवों में प्राधिकरण अवैध कॉलोनियों पर बिल्कुल भी रोक नहीं लगा पा रहा है, इसके क्या कारण है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कॉलोनाइजरओ के सामने बिल्कुल नतमस्तक है उन पर कोई भी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है ग्रेटर नोएडा के अधिसूचित एरिया में आने वाले गांव सैनी सुनपुरा, तिलपता रोजा जलालपुर मैं अवैध निर्माण अपने चरम पर है

कॉलोनाइजर द्वारा गरीब और भोली भाली जनता को गुमराह किया जा रहा है उन्हें पक्के प्लॉट बताकर के पीछे जा रहे हैं और उनसे उनके जीवन भर की कमाई, अगली जाती है जब प्राधिकरण दोबारा अवैध निर्माण तोड़े जाते हैं तुम गरीबों की आंखों में सिर्फ आंसू ही आंसू होते है, उन गरीबों के आंसुओं का जिम्मेदार भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ही है, क्योंकि इन अवैध निर्माणों को रोकने की जिम्मेदारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों पर थी लेकिन उन अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी को बिल्कुल भी नहीं निभाया, या कहे तो बल्कि कॉलोनाइजर ओं के साथ मिलकर उनके काम में सहयोग किया और उन्हें खुली छूट दी अवैध निर्माण करने की, जिसका नतीजा आज यह हो गया है की अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की भी हिम्मत नहीं कि अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त किया जा सके

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को अपने अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करनी चाहिए, किन अवैध कॉलोनियों को पनपने में उनकी क्या भूमिका रही, अधिकरण के अधिकारियों पर इन गांवों में रिश्वत के आरोप लगते रहे हैं अगर जल्द से जल्द इन अवैध कॉलोनियों पर रोक नहीं लगी तो, शहर अपने डेवलपमेंट के रास्ते से भटक जाएगा

ऐसे कुछ कदम उठाने चाहिए नोएडा प्राधिकरण को

अवैध निर्माण को बढ़ाने में जितने दोषी कॉलोनाइजर है उतने ही दोषी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी है दोनों पर एफ आई आर दर्ज हो

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना चाहिए की लोग इन अवैध कॉलोनियों में प्लॉट न खरीदें

जहां जहां अवैध कालोनिया कट रही है वहां पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को अपने बोर्ड लगाने चाहिए, जिस पर स्पष्ट लिखा हो कि है निर्माण अवैध है

जिन अधिकारियों पर इस अवैध निर्माण को रोकने की जिम्मेदारी है, उनकी जांच हो, कि उन्होंने अवैध निर्माण क्यों बढ़ने दिया

जहां-जहां या अवैध कॉलोनियां बन रही हैं, वहां पुलिस और प्राधिकरण के अधिकारियों को ड्यूटी दी जाए, रोजाना की रिपोर्ट दें, और काम को तुरंत बंद कराएं

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