नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में एक तरफ चार दिन से भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े में लगी आग से उठता धुआं हवा में जहर घोल रहा है, तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली देहात के गांवों के खेतों में पराली का धुआं लोगों का दम घोंट रहा है। नतीजन शहर के साथ-साथ गांवों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। हर रोज किसी न किसी गांव में पराली में आग लगाने के मामले सामने आ रहे हैं। बीते दो दिन से लगातार औचंदी व दरियापुर गांव में पराली को आग लगाई जा रही है। इससे पहले कुतुबगढ़ गांव के कुछ खेतों में पराली जलाई गई थी।
पराली जलाने का सिलसिला शुरू
दरअसल दिल्ली देहात के गांवों में गेहूं की फसल की कटाई के बाद पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। अप्रैल में ज्यादातर किसानों ने गेहूं की फसल काट ली है। अगली फसल की बुआई की तैयारी करने के लिए वह खेतों में गेहूं की कटाई के बाद बची पराली (फांस या नालवे) को जलाने लगे हैं। जागरण की टीम शुक्रवार को जब औचंदी गांव में पहुंची तो वहां पर औचंदी बार्डर से मुंगेशपुर गांव के रास्ते पर बाएं ओर करीब साढ़े तीन एकड़ खेत में पराली जली पाई गई। आसपास के लोगों से जब पराली जलाने के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि अगली फसल की बुआई के लिए पराली को जला दिया गया है।
15 एकड़ खेतों में जली पराली
वहीं, दरियापुर गांव में दरियापुर ड्रेन पार करके हरेवली की तरफ जाते समय बाएं और दस से 15 एकड़ खेतों में पराली जलाई गई थी। जब ड्रेन के पास रिक्शा में तरबूज बेच रहे व्यक्ति से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘इन खेतों में कंबाइन मशीन की मदद से गेहूं की फसल की कटाई की गई थी। इसके बाद पराली से छुटकारा पाने के लिए खेत में ही इसमें आग लगा दी गई।’ दरियापुर गांव में ही बवाना की ओर जाते समय कुछ और खेतों में पराली जलाई गई थी।
दरियापुर गांव में हर वर्ष जलती है पराली
दरियापुर गांव में पराली जलाने का मामला पहली बार नहीं आया है। यहां पर हर वर्ष पराली जलाई जाती है। बीते वर्ष भी गांव में दर्जनों एकड़ खेतों में पराली जलाई गई थी और उसके पहले वर्ष 2020 में भी पराली जलाई गई थी।
बढ़ जाता है प्रदूषण का स्तर
राजधानी दिल्ली में हर वर्ष पराली जलाने के मामले सामने आते हैं। धान की फसल की कटाई के बाद व गेहूं की फसल की कटाई के बाद बचे अवशेषों को आग लगा दी जाती है। इससे आसपास के इलाके में धुआं ही धुआं फैल जाता है। इस धुएं की वजह से पास की सड़क से गुजरने वाले वाहन चालकों को कुछ दिखाई नहीं देता है। दीवाली के आसपास पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि इसे सामान्य होने में कई दिन लग जाते हैं।
अक्टूबर 2021 में भी खूब जली थी पराली
वहीं अक्टूबर 2021 में दिल्ली देहात के मुंगेशपुर, कुतुबगढ़, कटेवड़ा, बाजितपुर, नांगल ठाकरान, दरियापुर, घोगा, नरेला, अलीपुर, हिरनकी, कराला, माजरा डबास, कंझावला, मुंडका आदि गांवों में धू धू पराली जली थी। इससे पहले वर्ष 2020 में भी बवाना, मुंडका व नरेला विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों के खेतों पराली जलाने के मामले सामने आए थे। जिसके लिए एसडीएम की ओर से किसानों के चालान भी किए गए थे।
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