पैगंबर विवाद पर हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश में चल रही बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत-उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई 29 जून के लिए टाल दी है। जमीयत की तरफ से दायर याचिका में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि राज्य में संपत्तियों का कोई और विध्वंस उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नहीं किया जाए। जमीयत का आरोप है कि राज्य में हुई हिंसा के बाद एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। पिछले दिनों यूपी के अलग अलग शहरों में हिंसा के उपद्रवियों और अपराधियों के खिलाफ योगी का बुलडोजर चला तो कोहराम मच गया था।
बता दें कि मुस्लिम निकाय जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दाखिल याचिकाओं के तहत दायर हलफनामे में, राज्य सरकार ने कहा कि आवेदनों में जिस विध्वंस का जिक्र किया गया है, वे स्थानीय विकास प्राधिकरण द्वारा किए गए हैं और वे राज्य प्रशासन से स्वतंत्र वैधानिक स्वायत्त निकाय हैं। इसमें कहा गया है कि की गई कार्रवाई उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन एवं विकास कानून, 1972 के अनुसार तथा अनधिकृत व अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ उनके नियमित प्रयास के तहत है। हलफनामे में कहा गया है कि किसी भी प्रभावित पक्ष ने, यदि कोई हो, कानूनी विध्वंस कार्रवाई के संबंध में इस अदालत से संपर्क नहीं किया है। इसमें कहा गया है, ‘‘विनम्रतापूर्वक यह निवेदन किया जाता है कि जहां तक दंगा करने वाले आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही की बात है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि कानपुर और प्रयागराज में अवैध ढांचों को नगर निकायों द्वारा कानून के अनुसार गिराया गया था और पैगंबर मोहम्मद के बारे में भारतीय जनता पार्टी के दो नेताओं की टिप्पणी के बाद हुए हिंसक विरोध में शामिल आरोपियों को दंडित किए जाने से इसका कोई संबंध नहीं था।
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