ग्रेनो प्राधिकरण के 300 करोड़ के घोटाले के आरोपों पर कुछ रोचक तथ्य आए सामने।

ग्रेटर नोएडा (कपिल कुमार)

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ऑनलाइन सेवा के नाम पर 300 करोड़ के घोटाले के आरोपों की खबरें लगातार समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही थी इन आरोपों की जांच पड़ताल करते-करते नोएडा व्यूज की टीम करप्शन फ्री इंडिया संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय के पास पहुंची जहां कुछ इस घटनाक्रम के तथ्य मिले।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 300 करोड़ के घोटाले की पड़ताल करते हुए। करप्शन फ्री इंडिया संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय से जानकारी मिली कि उन्होंने संगठन के लेटर पैड पर 14 नवंबर 2021 को ऑनलाइन सेवाओं के लिए जारी किए टेंडर की सूचना आरटीआई के माध्यम से प्राप्त की। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से 8 दिसंबर 2021 को आरटीआई के प्राप्त जवाब में कुछ तथ्यों के आधार पर पता चला कि यह पूरा अनुबंध ही केवल 63 करोड़ रुपए का है प्राधिकरण की नीविदाओ के आधार पर मैसर्स टेक महेंद्र लिमिटेड के साथ 22 फरवरी 2019 को विस्तृत नियम एवं शर्तों के साथ पूरा पारदर्शिता बरतते हुए करार किया गया। इस करार में अगले पांच वर्षों तक ऑनलाइन सेवा की मेंटेनेंस भी शामिल है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान समय तक प्राधिकरण की तरफ से टेक महिंद्रा कंपनी को लगभग 18 करोड़ की धनराशि का भुगतान किया गया है। इस प्रकरण के प्रथम दृष्टया आरटीआई की जानकारी के आधार पर यह प्रतीत होता है की कुल मामला ही 68 करोड़ का है तो घोटाला 300 करोड़ का कैसे हो सकता है?
फिर भी यदि आरोप लगे हैं तो जांच तो होनी चाहिए और यदि जांच में कोई भी अधिकारी अथवा कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो उस पर नियम अनुसार कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।


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