- लीज कराने के लिए ₹120 प्रति मीटर और ट्रांसफर ₹100 प्रति मीटर रिश्वत ली जाती है।
- 1:00 बजे के बाद आम आदमी की एंट्री बंद हो जाती है दोनों ही विभागों में।
- संपत्ति और 6 परसेंट विभाग में ऐसे भी अधिकारी है जिन्हें लगभग 10 वर्ष हो गए एक ही विभाग में काम करते हैं।
ग्रेटर नोएडा (कपिल कुमार)
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के कुछ भी विभागों में भ्रष्टाचार दूर से ही दिखाई देता है ऐसे ही दो विभाग है प्राधिकरण के संपत्ति विभाग और 6 परसेंट विभाग इन दोनों ही विभागों के अधिकारी बिना पैसे लिए मुंह नहीं खोलते हैं इन विभागों में इस समय सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हो रहा है सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी याद आती है जिसमें माननीय न्यायालय ने कहा था प्राधिकरण की आंख नाक और कान से भ्रष्टाचार टपकता है आज लगता है कि वह सही ही कहा था।
लीज कराने के लिए ₹120 प्रति मीटर और ट्रांसफर ₹100 प्रति मीटर रिश्वत ली जाती है।
प्राधिकरण के यह दोनों ही विभाग प्राधिकरण के कार्यालय में तीसरे माले पर है इन विभागों में सबसे ज्यादा काम आम आदमी और किसानों के ही होते हैं प्राधिकरण के अधिकारियों ने फाइलों में उलझा देते हैं उनसे नए-नए कागज मांगते है। जिन्हें भी पूरे नहीं कर पाते हैं उसकी एवज में उनसे मोटा पैसा मांगा जाता है लीज के नाम पर ₹120 मीटर लिया जाता है और ऐसा ही हाल संपत्ति विभाग में प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के लिए ₹100 स्क्वायर मीटर रिश्वत ली जाती है।
1:00 बजे के बाद आम आदमी की एंट्री बंद हो जाती है दोनों ही विभागों में।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के संपत्ति और 6 परसेंट विभाग में 1:00 बजे के बाद आम आदमी और किसान के एंट्री बंद हो जाती है उसके बाद सिर्फ दलालों की एंट्री होती है दलालों से अधिकारियों के पैसे फिक्स है और फिर 1:00 बजे के बाद सिर्फ दलालों के ही काम होते हैं।
संपत्ति और 6 परसेंट विभाग में ऐसे भी अधिकारी है जिन्हें लगभग 10 वर्ष हो गए एक ही विभाग में काम करते हैं।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की इन दोनों विभागों में ऐसे अधिकारी भी जमे हुए हैं जिन्हें लगभग 10 वर्ष हो गए हैं एक ही विभाग में काम करते हैं ऐसे अधिकारियों का ट्रांसफर क्यों नहीं किया जा रहा? इसकी भी जांच होनी चाहिए, इस बात से यह स्पष्ट होता है कि जो अधिकारी ज्यादा समय तक एक ही विभाग में रहता है वहां भ्रष्टाचार होने की गुंजाइश बहुत ज्यादा होती है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के नए मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने कार्यभार संभालने के बाद ही प्राधिकरण के अधिकारियों को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कोई भी भ्रष्टाचारी बक्सा नहीं जाएगा, जो भी अधिकारी भ्रष्टाचार करेगा या अन्य अनियमितताओं में लिप्त पाया जाएगा। उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी, लेकिन लगता है कि इन अधिकारियों पर मुख्य कार्यपालक अधिकारी के संदेश का कोई फर्क नहीं पड़ा, इन्हें किसी का कोई डर नहीं है बेखौफ होकर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
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प्रॉपर्टी और 6% विभाग ही नहीं बल्कि जिस विभाग में भी पब्लिक डीलिंग होती है हर उस विभाग का यही हाल है । डरें भी क्यों जब इनका कुछ बिगड़ता ही नहीं । अब से पहले अनेक बार अखबारों में व सोशल मीडिया पर कई अफसरों के निलंबन या तबादले की खबर आई लेकिन से सभी अपने ऑफिस में अपनी कुर्सियों पर ही जमे मिले । सीईओ साहब को कुछ बहुत कठोर करके मिशाल बनानी होगी । तभी ये लोग सुधरेंगे ।