पूर्वी लद्दाख में पड़ोसी देश चीन के साथ टकराव को देखते हुए सेना ने अपने जवानों को चीनी भाषा मंदारिन सिखाने की तैयारी कर ली है। भारतीय सेना ने हाल ही में प्रादेशिक सेना में मंदारिन-प्रशिक्षित कर्मियों को शामिल करने के लिए आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किया है, इसके तहत सेना ने टेरिटोरियल आर्मी में मंदारिन भाषा विशेषज्ञों की भर्ती के लिए अधिसूचना भी जारी की है। सेना ने करीब 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सतर्कता बढ़ाने की समग्र नीति के तहत अपने कर्मियों को चीनी सिखाने की रणनीति बनाई है। ताकि वे जरूरत पड़ने पर चीनी सैनिकों का सामना होने पर उनकी भाषा समझ सकें और उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब में दे सकें।
उत्तरी सीमाओं के प्रति भारतीय सेना के रणनीतिक दृष्टिकोण के पुनर्मूल्यांकन के साथ, भारतीय सेना ने अपने चीनी भाषा प्रशिक्षण को उन्नत किया है और अपनी समग्र रणनीति के भीतर चीनी भाषाविदों के उपयुक्त स्केलिंग को सहक्रियात्मक रूप से शामिल किया है। भारतीय सेना मंदारिन से विभिन्न लेखों या साहित्य के अनुवाद के लिए कृत्रिम मेधा आधारित समाधानों का भी उपयोग कर रही है। एक सूत्रों ने कहा, ‘‘मंदारिन में बेहतर पकड़ के साथ भारतीय सेना के कर्मी अपनी बात को और अधिक स्पष्ट तरीके से व्यक्त कर पाएंगे।’’ प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना में अधिकारियों और जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) समेत सभी रैंक में बड़ी संख्या में ऐसे कर्मी हैं, जो मंदारिन जानते हैं।
भारतीय सेना ने अपने कर्मियों को मंदारिन दक्षता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू), गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजी), शिव नादर विश्वविद्यालय (एसएनयू) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) संपन्न किया है। इसके साथ ही, आंतरिक प्रयासों में पचमरी में सेना के प्रशिक्षण स्कूल और दिल्ली के विदेशी भाषा स्कूल में रिक्तियों को बढ़ाना शामिल है।
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