देश आजादी का 75 वां वर्षगांठ मना रहा है। लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्वजारोहण के बाद देश को संबोधित करते हुए दावा किया कि आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की ओर देखने का नजरिया बदल चुका है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि समस्याओं का समाधान भारत के धरती पर दुनिया खोजने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कहा गया कि आने वाले 25 साल के लिए हमें पंच प्रण पर शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा। इसमें प्रधानमंत्री ने विकसित भारत, गुलामी की सोच से आजादी, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता तथा नागरिकों का कर्तव्य का जिक्र किया। इसके बाद अब भाजपा की ओर से एक नया कैंपेन शुरू किया जा चुका है। भाजपा ने इस कैंपेन को देश की बदली सोच का नाम दिया है। इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नेतृत्व में देश के लोगों की सोच बदलने में कामयाबी हासिल की है। भाजपा की ओर से इस को लेकर कई ग्राफिक्स भी साझा किए गए हैं।
भाजपा की ओर से देश की बदली सोच कैंपेन की शुरुआत की गई है। एक कैंपेन में इंदिरा गांधी के 1973 में दिए भाषण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2017 में दिए भाषण का जिक्र किया गया है। इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि 1973 में लोगों में सरकार के प्रति अविश्वास था। लेकिन अब उनमें अटूट विश्वास है। एक ग्राफिक्स में 1951 के पंडित जवाहरलाल नेहरू के भाषण और 2014 के मोदी के भाषण का जिक्र है। इसमें यह बताने की कोशिश की जा रही है कि पहले की सरकार किस तरीके से जिम्मेदारी से बजती थी। लेकिन अब सरकार जिम्मेदारी ले रही है। इसके अलावा 1974 में इंदिरा गांधी द्वारा दिए गए भाषण और 2021 में मोदी के भाषण का भी जिक्र है। इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि कैसे पहले लोगों की क्षमता पर विश्वास नहीं किया जाता था। लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी कैसे लोगों की क्षमता पर विश्वास करते हैं।
इसके अलावा भाजपा की ओर से 2009 में मनमोहन सिंह ने एक भाषण का जिक्र किया गया है और 2017 में मोदी के भाषण का जिक्र है। इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि पहले सिर्फ खोखले शब्द बोले जाते थे। लेकिन अब आतंकवाद के खिलाफ सरकार का रुख स्पष्ट है और कड़ी कार्रवाई भी की जाती है। एक और ग्राफिक्स में 1950 के पंडित नेहरू के भाषण का जिक्र है। वही 2019 के मोदी के भाषण का जिक्र है। इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि पहले व्यापारियों को बेईमान कहा गया था। लेकिन अब उन्हें धन निर्माता कहा जा रहा है। एक ग्राफिक्स में यह बताने की कोशिश की जा रही है कि पहले लोगों को विवरण लेने के लिए कहा जाता था। लेकिन अब सरकार की ओर से आंकड़े साझा किए जाते हैं। एक ग्राफिक्स में 2008 में मनमोहन सिंह के भाषण को और 2019 में नरेंद्र मोदी के भाषण को दिखाया गया है। इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि पहले वोट बैंक के लिए अल्पसंख्यकों को खुश करने की कोशिश होती थी लेकिन आज बिना किसी भेदभाव के लगातार विकास के काम किए जा रहे हैं।
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