इस्लामाबाद। भारत और पाकिस्तान कभी एक ही मुल्क हुआ करते थे लेकिन आजादी की कीमत इन दोनों मुल्कों के बटवारे पर जाकर खत्म हुई। दोनों मुल्कों का बटवारा तो हो गया लेकिन नासूर बन गया कश्मीर। कश्मीर को लेकर अब तक दोनों देशों के बीच तीन बड़े युद्ध हो चुके हैं। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की सियासत चल रही हैं और कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान में आतंकवाद जड़ जमाए हुए हैं। इस मुद्दे को शांतिपूर्ण सुलझाने में पाकिस्तान ने कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई हैं क्योंकि पाकिस्तान में असल मुद्दा वहां की भूख से मरती आवाम का नहीं बल्कि आतंकियों की गुड लिस्ट में बने रहकर कश्मीर के जरिए भारत के खिलाफ साजिशें रचते रहने का है।
पुरानी रंजिशे भुलाते हुए जब भारत में 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनीं तो उन्होंने पाकिस्तान से सबकुछ भूल कर दोस्ती करने के लिए कहा और कश्मीर पर शांतिपूर्वक बात करने की बात कही लेकिन पाकिस्तान ने बदले में हमें उरी हमला दिया, पुलवामा अटैक दिया। तब से भारत का भी रूख पाकिस्तान की ओर सख्त हैं। अब इमरान खान की सरकार को गिराकर पाकिस्तान में नयी सरकार बनीं हैं। नयी सरकार की ओर से बयान जारी करके भारत को संदेश भेजा गया है कि पाकिस्तान शांतिपूर्वक कश्मीर मुद्दे का समाधान चाहता हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ‘‘समानता, न्याय और आपसी सम्मान’’ के सिद्धांतों और कश्मीर मुद्दे के समाधान के आधार पर भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की इच्छा व्यक्त की है। मीडिया की एक खबर में शुक्रवार को यह कहा गया। पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार से आतंकवाद और कश्मीर मुद्दे को लेकर द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बीच शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ‘‘सहायक भूमिका’’ निभाने का भी आग्रह किया।
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