जिले में ग्रेप के नाम पर लघु उद्यमियों को बेवजह परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

उद्योगों को अगर बिजली की सप्लाई पूरी मिलेगी, तो जनरेटर चलाने का तो कोई सवाल ही नहीं बनता।

ग्रेटर नोएडा । कपिल चौधरी

दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 1 अक्टूबर से ग्रेप लागू हो गया है और इस बार 15 दिन पहले लागू किया गया है इस बार ग्रेप के पहले दिन से ही जनरेटर संचालन पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है इसे लेकर के उद्यमियों में रोष है वह लगातार अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

जिले में प्रदूषण विभाग की 4 टीमों के अलावा प्राधिकरण अधिकारियों की कुल 14 टीमें प्रदूषण व ग्रेप नियमों की निगरानी के लिए बनाई गई है जिले में लगभग छोटी-बड़ी 20 हजार औद्योगिक इकाइयां चल रही है।

उद्यमियों का आरोप है बेवजह भी किया जाता है परेशान

एनसीआर में उद्यमियों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण विभाग पर यह आरोप भी लगाए जाते रहे हैं की विभाग द्वारा गठित टीमों द्वारा उद्यमियों का शोषण किया जाता है उद्यमियों की कोई बात नहीं सुनी जाती है उन पर सिर्फ भारी भरकम जुर्माने ही ठोक दिया जाते हैं।

प्रदूषण नियंत्रण विभाग लघु उद्योगों पर जुर्माना लगा कर के ही प्रदूषण रोकने का काम करता है लघु उद्योगों पर जुर्माना लगाने को ही वह अपनी सफलता समझता है और ऐसा लगता है प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी जैसे सिर्फ जुर्माने के नाम पर पैसा इकट्ठा करने में लगे हुए हैं उद्यमियों का कहना है कि विभाग के हम सॉफ्ट टारगेट होते हैं।

जो प्रभावी कदम प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाने चाहिए उन पर कम ध्यान दिया जाता है।सड़कों पर उड़ने वाली धूल, पुराने हो चुके वाहनों से निकलने वाला धुआं, कंस्ट्रक्शन साइट से निकलने वाली धूल आदि पर भी ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि सबसे ज्यादा प्रदूषण सड़क पर ही होता है।

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