अभिभावकों के इन बातों पर सोचना होगा। शिक्षा अब शिक्षकों के हाथ में नहीं रही, उद्योगपति और नेताओं के हाथ में पहुंच चुके हैं ज्यादातर प्राइवेट स्कूल सिर्फ पैसा कमाने के मकसद से ही खोले गए।
ग्रेटर नोएडा । कपिल कुमार
हर चीज आप को स्कूल से लेनी है किताबी आप को स्कूल से लेनी है यूनिफॉर्म आप को स्कूल से लेनी है टाई बेल्ट आप को स्कूल से लेनी है स्कूल बैग आप को स्कूल से लेना है बस एक चीज आप बाहर से ले सकते हैं और वह है शिक्षा। शिक्षा के लिए आप बाहर से ट्यूशन लगा सकते हैं अगर स्कूल वालों का बस चले तो बच्चों के लिए आटा चावल भी स्कूल से ही देने लगे। स्कूल जब चाहे मां बाप से छड़ी घुमा करके पैसा निकाल लेता है बस ड्रेस का कलर ही तो चेंज करना है, या बुक दूसरे राइटर की लगानी होती है, सरकार ने बड़े-बड़े नियम बनाए हैं लेकिन स्कूलों पर उनका असर कुछ भी नहीं हुआ।
कुछ स्कूलों बच्चों को बाहर निकाल कर खड़ा करने लगे हैं कि सब लोग इन्हें देख लो यह वह बच्चे हैं जिनकी फीस समय पर जमा नहीं हो पाई है बच्चे शर्म की वजह से स्कूल से छुट्टी लेने लगते हैं उनके दोस्तों के सामने उन्हें बाहर खड़ा होना पड़ता है पैसे के लिए बार-बार सुनाया जाता है जिस बच्चे ने पूरी साल मेहनत करके पढ़ाई की है पैसे के लिए उसे एग्जाम में नहीं बैठने दिया जाता है। टोटल नंबर ऑफ स्टूडेंट्स को प्राइवेट स्कूल कभी नहीं बताता सिर्फ कुछ बच्चों के नंबर क्यों बताते हैं क्योंकि ओवरऑल रिजल्ट में तो सरकारी स्कूल ही बेस्ट होते हैं वहां पर तो नवोदय और केंद्रीय विद्यालय ही आगे रहते हैं।
अभिभावकों ने अपने आपको अच्छा स्टैंडर्ड का दिखाने की होड़ लगी हुई है बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे है। जहां पर शिक्षा नाम मात्र की रह गई है, स्कूल मालिक अभिभावकों को सिर्फ पैसा देने वाली मुर्गी समझते है उन्हें आपके बच्चे की शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है शिक्षा अब शिक्षकों के हाथ में नहीं रही, उद्योगपति और नेताओं के हाथ में पहुंच चुके हैं ज्यादातर प्राइवेट स्कूल सिर्फ पैसा कमाने के मकसद से ही खोले गए।
