गाजियाबाद। जिले में कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद पहले पुलिस आयुक्त अजय मिश्रा ने कहा है कि गणमान्य और सामाजिक लोगों की राय लेकर जिले में पुलिसिंग की जाएगी। जिले में ऐसी कमिश्नरेट प्रणाली होगी कि बदलाव खुद दिखाई देगा। शासन की मंशा के अनुरूप यातायात व्यवस्था, महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर मजबूती से काम किया जाएगा। कमिश्नरेट बनने के बाद जिले को एक हजार पुलिसकर्मी मिलेंगे। शासन द्वारा इसकी स्वीकृति मिल गई है।
15 दिन के भीतर कमिश्नरेट व्यवस्था विधिवत रूप से शुरू
जिले में आइपीएस अधिकारी भी शीघ्र मिल जाएंगे। उन्होंने बताया कि अगले 15 दिन के भीतर कमिश्नरेट व्यवस्था को विधिवत रूप से शुरू करा दिया जाएगा। अजय मिश्रा ने बुधवार सुबह पुलिस लाइन पहुंचकर पुलिस आयुक्त का चार्ज लिया। शाम को वह पुलिस लाइन में मीडिया से मुखातिब हुए। अजय मिश्रा मूलरूप से बलिया के रहने वाले हैं और 89 से वाराणसी में रह रहे हैं। वह 2003 बैच के अधिकारी हैं और पूर्व में सुल्तानपुर, इटावा, महोबा, बागपत, प्रतापगढ़, मैनपुरी, वाराणसी, मैनपुरी और कानपुर में तैनात रह चुके हैं।
पुलिस के प्रति आम लोगों का विश्वास व उम्मीद बढ़ेगी
वह लंबे समय से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे और दो माह पूर्व ही प्रदेश में वापसी की है। प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने से पुलिस के प्रति आम लोगों का विश्वास व उम्मीद बढ़ेगी। पुलिस के अधिकारों के साथ दायित्व भी बढ़े हैं। तीन से चार माह के भीतर जिले में बड़े बदलाव दिखाई देंगे। ये ऐसे सकारात्मक बदलाव होंगे कि इनके बारे में बताने की जरुरत नहीं होगी, यह खुद ही दिखाई देंगे। साइबर अपराध रोकने के लिए तकनीकी रूप से दक्ष लोगों को आगे लाकर उनसे काम कराया जाएगा। इसके साथ ही विभिन्न प्लेटफार्म पर जागरुकता अभियान चलाए जाएंगे। अपराध नियंत्रण के लिए पेट्रोलिंग बढ़ाने के साथ नई योजनाएं बनाई जाएंगी।
अपराध से कुछ लोग, जाम से हजारों लोग होते हैं प्रभावित
अजय मिश्रा का कहना है कि जिले में एक दिन में 40 से 50 एफआइआर दर्ज होती हैं। इसमें 40 से 50 लोग प्रभावित होते हैं लेकिन यदि कहीं जाम लगता है तो एक साथ हजारों की संख्या में लोग प्रभावित होते हैं। जाम किसी अपराध से कम नहीं है। इसलिए जाम के खात्मे के लिए योजना बनाकर काम किया जाएगा।
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