क्या प्राधिकरण ने कभी सोचा कि उसके अधिसूचित एरिया में अवैध कालोनिया क्यों कट रही है?

  • अगर प्राधिकरण समय से किसान की जमीन का अधिग्रहण करें तो कॉलोनाइजरओ को जमीन देने का सवाल ही नहीं उठता।

ग्रेटर नोएडा । कपिल कुमार

ग्रेटर नोएडा शहर मे सबसे ज्यादा बात किसी चीज की हो रही है तो वह है अवैध निर्माण, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह कभी सोचा ही नहीं की अवैध निर्माण या अवैध कालोनियां क्यों काटी जा रही है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित एरिया में, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों को अपनी कार्यशैली पर सोचने की जरूरत है क्या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इन लोगों की जमीन अधिग्रहण कर ली है? ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सिर्फ अपनी भविष्य की जरूरत देख रहा है लेकिन किसान आज परेशान है उसे आज पैसे की जरूरत है।

प्राधिकरण भविष्य देख रहा है, किसान को आज जरूरत है

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की स्थापना के समय सैकड़ों गांव को अधिसूचित किया गया था कि इन गांव का अधिग्रहण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण करेगा और उनके विकास की जिम्मेदारी भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की होगी। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों की उदासीनता के कारण बहुत गांवों में अधिग्रहण नहीं हो पाया या कुछ गांव में अधिग्रहण रद्द हो गया था ऐसे ही गांव में अवैध निर्माण या अवैध कालोनियां कट रही है लेकिन अवैध कॉलोनी कटनी तब शुरू हुई जब किसानों को मुआवजे की राह देखते हुए दशक बीत गए, किसान को बच्चों की शिक्षा के लिए, मकान बनाने के लिए और बच्चों की शादी के लिए पैसे की जरूरत है तो पैसे का इंतजाम कैसे करें। प्राधिकरण से मुआवजा मिल नहीं रहा तो उसके पास सिर्फ एक ही ऑप्शन बचता है किसी कॉलोनाइजर को जमीन बेचना, और वह कॉलोनाइजर प्राधिकरण से ज्यादा कीमत देता है उस किसान को उसकी जमीन की, प्राधिकरण के अधिग्रहण न करने के कारण ही लोग कॉलोनाइजर ओ को जमीन दे रहे।

प्राधिकरण के अधिकारियों की अवैध निर्माण को रोकने की अपनी मजबूरी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित एरिया में बड़े स्तर पर हो रहे अवैध निर्माण को रोकना सिर्फ कुछ अधिकारियों के बस की बात नहीं है। जब तक प्राधिकरण का पूरा तंत्र एक साथ काम नहीं करेगा और मूल समस्या का समाधान नहीं किया जाएगा अवैध निर्माण को रोकना मुश्किल दिखाई देता है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी बार-बार कॉलोनाइजर और किसान को नोटिस जारी करते हैं थाने में एफ आई आर के लिए भी आवेदन देते हैं लेकिन इन सब का कुछ असर होते दिखाई नहीं दे रहा, सिर्फ कुछ चुनिंदा अधिकारियों को टारगेट करना और उन पर आरोप लगाना सही नहीं है यह पूरे प्राधिकरण की ही जिम्मेदारी है सीईओ से लेकर सुपरवाइजर तक को मिलकर और अच्छी मानसिकता के साथ काम करना होगा तभी अवैध निर्माण पर वार किया जा सकता है।

अवैध निर्माण को तोड़ने की राह आसान नहीं, लेकिन नए को रोका जा सकता है

बहुत से गांव में बहुत ज्यादा कॉलोनियों और विला बन चुके हैं जिनमें हजारों गरीब और मध्यमवर्गीय लोग रह रहे हैं और अपने भविष्य के सपने सजाए हुए हैं उन पर भी कार्रवाई करना आसान नजर नहीं आता है इन पर भी प्राधिकरण को सोचना चाहिए कि कैसे हल निकाला जा सकता है जिससे विकास भी हो जाए गरीब भी बच जाए और प्राधिकरण की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि जो नया अवैध निर्माण कैसे रोका जाए।


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