जिस अवैध निर्माण को तोड़कर प्राधिकरण अपनी पीठ थपथपा रहा है, उसको किसने फल-फूल ने दिया?

कथित तौर पर कहा जाता है कि प्राधिकरण के लगभग 80 प्रतिशत कर्मचारी करोड़पति हैं बन चुके हैं तो उनके पेट भरे हुए हैं तो उन्हें लगता है की किसान की स्थिति भी उनके जैसी ही है।

ग्रेटर नोएडा । कपिल कुमार

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित एरिया में आए दिन बुलडोजर चलने की खबरें आ रही हैं आए दिन कहीं ना कहीं अवैध निर्माण को तोड़ा जा रहा है। अवैध निर्माण को तोड़कर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अपनी पीठ थपथपा रहा है आखिरकार अवैध निर्माण का कारोबार इतना क्यों फल फूल है क्या कारण रहा की अवैध निर्माण को समय रहते हुए नहीं रोका गया। क्यों इसका कोई ठोस हल नहीं निकाला गया? इन सब सवालों का प्राधिकरण को जवाब देना होगा। वह कौन अधिकारी थे जिनकी शह पर खुलेआम अवैध निर्माण हुआ था।

2018 से 2021 के बीच में हुआ सबसे ज्यादा अवैध निर्माण

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित एरिया में लगभग 2018 से अवैध कॉलोनियों का निर्माण होना शुरू हुआ और बताते है कि यह अवैध निर्माण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के उस समय के अधिकारियों की देखरेख में हुआ। एक एक गांव में दर्जनों कॉलोनियां काटी गई क्या उस समय प्राधिकरण को कोई अवैध निर्माण नहीं दिखा। फिर आज यह अवैध निर्माण कैसे हो गया ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वर्क सर्किल एक, दो और तीन के अंतर्गत आने वाले गांव में कोई ऐसा गांव नहीं होगा। जहां पर अवैध कालोनिया ना कटी हो। जिन अधिकारियों के समय में अवैध निर्माण हुआ क्या उनकी जवाबदेही नहीं बनती की अवैध निर्माण को शुरू होने पर ही रोका जाता। उनकी अवैध कमाई पर कब बुलडोजर चलेगा।

अवैध निर्माण टूटने पर सबसे ज्यादा नुकसान गरीब का होता है

ज्यादातर अवैध कॉलोनियों में घर खरीदने वाले लोग गरीब और मध्यमवर्गीय होते हैं जिनकी औसतन मासिक आमदनी 25 हजार के आसपास होती हैं। दूसरे जिले और प्रदेशों से आए लोग नोएडा में अपने घर की चाहत में अवैध कॉलोनियों में प्लॉट या मकान खरीद लेते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता क्यों उनके जीवन भर की पूंजी किसी दिन कुछ ही मिनटों में प्राधिकरण द्वारा ध्वस्त कर दी जाएगी। जमीन बेचने वाला किसान और कॉलोनी काटने वाला कॉलोनाइजर अपना काम करके निकल जाते हैं मरता है तो सिर्फ गरीब मरता है।

जब तक प्राधिकरण अवैध निर्माण होने की मूल समस्या पर काम नहीं करेगा। तब तक ऐसे अवैध निर्माण चलते रहेंगे और गरीब और भोली भाली जनता लुटती रहेगी। गांव का अधिग्रहण करें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को गांवों में अधिग्रहण करना चाहिए। किसान को उसकी जमीन का सही मूल्य दें। तो किसान किसी कॉलोनाइजर को जमीन ना बेच करके सीधे प्राधिकरण को ही अपनी जमीन देगा। लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यशैली बहुत ही दयनीय स्थिति में है वह ना तो किसान को उसकी जमीन का मुआवजा देना चाहते और ना ही उसे जमीन बेचना देना चाहते। कथित तौर पर कहा जाता है कि प्राधिकरण के लगभग 80 प्रतिशत करोड़पति बन चुके हैं तो उनके पेट भरे हुए हैं तो उन्हें लगता है की किसान की स्थिति भी उनके जैसी ही है जब भी किसान को पैसे की जरूरत होती है तो उसके पास जमीन बेचना ही एक ऑप्शन बचता है जिसको प्राधिकरण तो खरीदता नहीं है तो मजबूरी में आकर के हो किसी कॉलोनाइजर को अपनी जमीन पर देता है।

किसी कॉलोनी को छोड़ दिया जाता है किसी को तोड़ दिया जाता है, नए निर्माण आज भी चल रहे हैं

कथित तौर पर एक बात जो आजकल कहीं जाती है कि प्राधिकरण के अधिकारी एक कॉलोनी को तोड़ देते हैं और उसी के पड़ोस वाली कॉलोनी को छोड़ देते हैं ऐसा क्यों? सिर्फ कुछ कॉलोनियों को ही टारगेट करके तोड़ा जाता है इसके पीछे भी कोई कारण है जिसे आम लोग जानना चाहते हैं?
बहुत गांवों में आज भी नई कॉलोनीया बनाई जा रही है जहां पर सिर्फ कुछ दिन पहले ही निर्माण शुरू हुआ है लेकिन उनको रोका नहीं जा रहा है इंतजार किया जा रहा है कि कब गरीब लोग खरीदें और वह अपना घर बनाए तब हम उसको अवैध निर्माण करके तोड़ेंगे।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी कार्यशैली पर सोचना चाहिए अपने अवैध निर्माण को तोड़ने के तरीके खुद मंथन करें

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