- ग्रेनो प्राधिकरण के अधिकारियों के कार्यालय के शीशे पारदर्शी क्यों नहीं है?
- किसान और आम लोगों में जो गलत धारणा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ बन चुकी है वह दूर हो सकती है।
ग्रेटर नोएडा । कपिल कुमार
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अब दोपहर 1:30 बजे के बाद किसी भी अलॉटी और किसान को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यह आदेश ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ की तरफ से जारी किया है। अगर किसी को ज्यादा जरूरी ही काम है तो वह सीईओ, एसीईओ, ओएसडी, सीनियर मैनेजर या मैनेजर की अनुमति से ही अंदर जा सकता है।
नोएडा व्यूज पिछले काफी समय से दलालों के मुद्दे को उठाता रहा है। नोएडा व्यूज पहले भी यह खुलासा कर चुका है कि दलाल ऑफिस में बैठकर अधिकारियों के साथ चाय बिस्कुट नाश्ता करते हैं और बुजुर्ग किसान गेट के बाहर खड़े हुए होते हैं कि उन्हें भी कोई अंदर बुला ले। लेकिन दलालों और अधिकारियों के गठजोड़ को तोड़ना इतना आसान नजर नहीं आ रहा है।
प्राधिकरण में अधिकारियों ने किसानों और अलॉटी के लिए सुबह से दोपहर 1:30 बजे तक का समय तय कर दिया है। इसके बाद कोई भी अलॉटी और किसान प्राधिकरण में प्रवेश नहीं कर पाएंगे साथ ही तय समय पर प्राधिकरण में प्रवेश कर चुके किसानों और अलॉटी को कार्यालय के बाहर जाना होगा। यदि समय के बाद अलॉटी या किसान कार्यालय में रहने का वाजिब जवाब नहीं बता पाए तो उनको जबरन निकाल दिया जाएगा।
ग्रेनो प्राधिकरण के अधिकारियों के कार्यालय के शीशे पारदर्शी क्यों नहीं है?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अंदर जितने भी कार्यालय बने हुए हैं सभी के शीशों पर फिल्म चढ़ी हुई है। जिससे आर पार का कुछ भी दिखाई नहीं देता है जब अधिकारी अंदर काम करने के लिए बैठे हैं और लोगों की समस्याएं सुलझाने के लिए बैठे हैं तो फिर पर्दा किस बात का, प्राधिकरण में आने वाले लोगों को भी दिखना चाहिए कि अधिकारी काम कर रहे हैं या अंदर मीटिंग चल रही है अधिकारियों को काम करता देख आने वाले लोगों को संतुष्टि होगी, जो पैसा टैक्स के रूप में इनकी सैलरी के लिए जा रहा है उसका सही उपयोग हो रहा है इसलिए कार्यालयों के शीशे पारदर्शी होने जरूरी है।
किसान और आम लोगों में जो गलत धारणा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ बन चुकी है वह दूर हो सकती है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ किसान, आवंटी और आम आदमी की यह धारणा बन चुकी है कि प्राधिकरण के अधिकारी काम नहीं करते हैं सिर्फ दलालों के साथ मीटिंग होती रहती है तो उनकी यह धारणा दूर हो सकती है अगर शीशे पारदर्शी होंगे, वह अपने अधिकारी को काम करते हुए देख सकते हैं और अपनी बारी का शांति से इंतजार करेंगे।
जिस कार्यालय में किसान और आम आदमी का रोजाना का काम होता हो, उस कार्यालय के अधिकारी के कमरे में गेट भी नहीं होना चाहिए। जिससे की आम आदमी की एंट्री सीधी हो, वह अपनी बात सीधे अधिकारी के सामने रख सके। जिसे नीचे वाले अधिकारी में भी यह डर होगा कि अगर मैंने इस व्यक्ति का काम नहीं किया तो, सीधा बड़े अधिकारी से मिल सकता है जाकर के और हमारी शिकायत कर सकता है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कब टूटेगा दलाल और अधिकारियों का गठजोड़? https://noidaviews.com/archives/16346
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