बच्चों में कैंसर की पहचान होने के बाद बीच में न छोड़े इलाज, बड़ों की तुलना में बचाना ज्यादा आसान

नोएडा। सेक्टर-30 स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ चाइल्ड हेल्थ (चाइल्ड पीजीआई) में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर जागरूकता दिवस कैंसर विशेषज्ञों ने कहा कि अभिभावक बच्चों में कैंसर की पहचान होने के बाद ट्रीटमेंट (इलाज) पूरा कराए। पैसों की कमी के बारे में सोचकर इलाज बंद न करें, क्योंकि सरकार कैंसर पीड़ित बच्चों के इलाज में आर्थिक मदद करती है।
बच्चों को कैंसर से बचाना ज्यादा आसान
इस मौके पर नोएडा विधायक पंकज सिंह ने कैंसर मरीजों को मदद कराने वाले लोगों और एनजीओ के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया। पीडियाट्रिक हिमेटोलाजी विभाग की अध्यक्ष डा. नीता राधाकृष्णन ने बताया कि बड़ों की तुलना में बच्चों को कैंसर से बचाना ज्यादा आसान है। बच्चों का कैंसर जितनी तेजी से फैलता है, इलाज का असर भी उन पर उतना ही जल्दी दिखना शुरू होता है।
उनमें बड़ों की तरह दूसरी बीमारियां भी कम होती हैं। इन कारणों से उनकी रिकवरी तेज होती है। अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए तो 80 प्रतिशत बच्चों की जान बचाई जा सकती है। शरीर के अंगों, खासकर त्वचा से खून बहना, शरीर पर काले धब्बे होना, गर्दन पर गांठ उभरना, हड्डियों के दर्द रहने की शिकायत हो, तो इसे हल्के में न लें। यह बच्चों में कैंसर की वजह बन सकती है।
बच्चों में सबसे अधिक ब्लड कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। इसके बाद गले में गांठ होना, हड्डी का कैंसर, पेट का कैंसर होता है। ल्यूकेमिया, मस्तिष्क कैंसर, लिम्फोमा, ठोस ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा भी होता है। राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईसीपीआर) की निदेशक डा. शालिनी सिंह ने बताया कि मां-पिता की सिगरेट, शराब पीने की लत और जंक फूड जैसी चीजें बच्चों में कैंसर का खतरा बढ़ा रही हैं।

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