भू माफियाओं के सामने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने टेके घुटने, क्या है मजबूरी?

प्राधिकरण अपनी ही जमीन पर कब्जा नहीं ले पा रहा, इन्वेस्टर्स को कब्जा कैसे दिलाएगा।

ग्रेटर नोएडा। कपिल कुमार

शहर में भू माफियाओं का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। जगह जगह लोग प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। जबकि प्रदेश सरकार भू माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए जानी जाती है। लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी भू माफियाओं पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है। देखने में आता है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसानों की बिना अधिग्रहण की गई भूमि पर किसानों द्वारा किए जा रहे निर्माण पर बहुत तेजी से कार्रवाई करता है और तुरंत दल बल के साथ पहुंचकर निर्माण को गिराने की कार्रवाई करते हैं। जबकि बड़े भू माफियाओं पर करवाई होती नजर नहीं आती है।

पतवाड़ी में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहण की गई भूमि पर अवैध कब्जा

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के क्षेत्र में आने वाले गांव पतवाड़ी में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा 2008 में पूरे गांव में अधिकरण किया गया था। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जिसमें गांव क ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अधिग्रहण कर लिया था। लेकिन गांव के लोगों ने मुआवजे की राशि उठाने के बाद भी भूमि पर कुछ समय बाद अवैध कब्जा कर लिया। जिस पर उन्होंने गलत तरीके से बैंकट हॉल, रेस्टोरेंट्स, मंदिर आदि बना दिए।

संयुक्त सचिव के आदेश के बाद भी अवैध निर्माण पर नहीं हुई कोई कार्यवाही

अवैध निर्माण को लेकर के प्रदेश सरकार में संयुक्त सचिव द्वारा भी दो बार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को अवैध निर्माण को हटाने के लिए बोला गया है और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ही एसीईओ द्वारा निर्माण को हटाने के लिए पुलिस फोर्स की मांग की गई थी। लेकिन कार्रवाई सिर्फ कागजों में ही चलती रही। बुलडोजर एक बार भी चलता नजर नहीं आया। आखिर बिल्डोजर अवैध निर्माण पर क्यों नहीं पहुंचा?

प्राधिकरण के बड़े-बड़े वादे लेकिन जमीन कब्जा मुक्त नहीं करा पा रहा

अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि भू माफियाओं का रसूख कितना ज्यादा बड़ा होगा की प्रदेश सरकार के संयुक्त सचिव द्वारा भी दो दो बार लेटर जारी करने के बाद प्राधिकरण कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। आखिर इस डर के पीछे क्या कारण है प्रदेश सरकार की इतनी बड़ी मशीनरी ने भी घुटने टेक दिए हैं। ऐसे क्या कारण है कि संयुक्त सचिव प्राधिकरण की एसीईओ सब के आदेश इनके सामने बौने साबित हुए।


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