नोएडा। 90 बिल्डर परियोजनाओं का नोएडा में 15 वर्ष से पूरा होने का इंतजार है। इसमें दो लाख फ्लैट खरीदार फंसे है, जो प्रति माह बैंक को फ्लैट की ईएमआइ चुका रहे हैं, किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं।
इससे भी अधिक बुरे हालात उन बिल्डर परियोजनाएं का है, जिन्हें पूरा तो किया जा चुका है, लेकिन प्राधिकरण का बकाया नहीं चुकाने की वजह से करीब एक लाख लोगों की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है।
ऐसे में फ्लैट खरीदारों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर सपनों का आशियाना उन्हें कैसे हासिल होगा। बता दें कि वर्ष 2007 से 2009 के बीच नोएडा में कौड़ियों के भाव बिल्डरों को ग्रुप हाउसिंग भूखंड आवंटित हुआ।
इस भूखंड की आड़ में बिल्डरों ने खूब सपने दिखाकर लोगों से बुकिंग ली, तीन वर्ष में आशियाना देने का वादा किया गया, लेकिन आज तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के लिए सेटर-78,79, 100, 150, 152 में तीन बिल्डर कंसोर्डियम को भूखंड का आवंटन का आवंटन किया, जिसमें बिल्डरों को बाजार से 50 प्रतिशत कम दर पर इसलिए जमीन उपलब्ध कराई गई कि वह जमीन पर 70 प्रतिशत एरिया में खेल गतिविधियों का संचालन करेंगे, उस पर आने वाले खर्च को 28 प्रतिशत ग्रुप हाउसिंग निर्माण और दो प्रतिशत पर वाणिज्यिक निर्माण कर खर्च रकम की भरपाई करेंगे, लेकिन बिल्डरों ने ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए 28 प्रतिशत जमीन के 74 टुकड़े कर सबलीज कर दिया, जिस पर 40 हजार फ्लैट बन गए, लेकिन खेल गतिविधियां संचालित नहीं होने पर फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री लटक गई।
आम्रपाली समूह की 12 परियोजनाएं नोएडा में करीब 45 हजार फ्लैट की डिलीवर दिया जाना था, इसके तीन वर्ष का समय बिल्डर ने दिया था, करीब 15 हजार फ्लैट तैयार कर दिया, लेकिन इनकी रजिस्ट्री फंस गई। सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया, कोर्ट रिसीवर की ओर से एनबीसीसी से परियाेजनाओं को पूरा करने का काम दिया गया, लेकिन आज तक वह भी पूरे नहीं हुए, अब फंड की कमी का रोना रोया जा रहा है।
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