ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के कुछ भी विभागों में भ्रष्टाचार दूर से ही दिखाई देता है ऐसे ही एक विभाग है प्राधिकरण का संपत्ति विभाग। इस विभागों के कर्मचारी बिना पैसे लिए मुंह नहीं खोलते हैं इस विभागों में इस समय सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार बताया जाता है। सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी याद आती है जिसमें माननीय न्यायालय ने कहा था प्राधिकरण की आंख नाक और कान से भ्रष्टाचार टपकता है आज लगता है कि वह सही ही कहा था।
प्राधिकरण के कार्यालय में तीसरे माले पर है इस विभाग में सबसे ज्यादा काम आम आदमी के ही होते हैं प्राधिकरण के कर्मचारी इन्हे फाइलों में उलझा देते हैं। उनसे नए-नए कागज मांगते है। जिन्हें वो पूरे नहीं कर पाते हैं उसकी एवज में उनसे मोटा पैसा मांगा जाता है सूत्रों के अनुसार कहा जाता है कि संपत्ति विभाग में प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के लिए स्क्वायर मीटर में रिश्वत ली जाती है। बहुत काम तनख्वा पाने वाले भी आज करोड़ पति है।
संपत्ति विभाग में ऐसे भी कर्मचारी है जिन्हें लगभग 10 वर्ष हो गए एक ही विभाग में काम करते हुए।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की इस विभाग में ऐसे कर्मचारी भी जमे हुए हैं जिन्हें लगभग 10 वर्ष हो गए हैं एक ही विभाग में काम करते हुए। ऐसे कर्मचारी का ट्रांसफर क्यों नहीं किया जा रहा? इसकी भी जांच होनी चाहिए, इस बात से यह स्पष्ट होता है कि जो कर्मचारी ज्यादा समय तक एक ही विभाग में रहता है वहां भ्रष्टाचार होने की गुंजाइश बहुत ज्यादा होती है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने कार्यभार संभालने के बाद ही प्राधिकरण के अधिकारियों को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कोई भी भ्रष्टाचारी बक्सा नहीं जाएगा, जो भी अधिकारी भ्रष्टाचार करेगा या अन्य अनियमितताओं में लिप्त पाया जाएगा। उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी, लेकिन लगता है कि इन अधिकारियों पर मुख्य कार्यपालक अधिकारी के संदेश का कोई फर्क नहीं पड़ा, इन्हें किसी का कोई डर नहीं है बेखौफ होकर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
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